पापा क्यों चुपचाप लेटे हो, कुछ तो बोलो..

लीड के साथ धनबाद से शव पहुंचे ही घर में मचा कोहराम गम में डूबा शबर पोते को गुमसुम देख सूख

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 07:32 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 07:32 PM (IST)
पापा क्यों चुपचाप लेटे हो, कुछ तो बोलो..
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लीड के साथ

धनबाद से शव पहुंचे ही घर में मचा कोहराम, गम में डूबा शबर

पोते को गुमसुम देख सूख गए पिता के आंसू, चुपचाप निहार रहा था बेटा जासं, हजारीबाग : धनबाद के दिवंगत एडीजे हजारीबाग के शिवपूरी निवासी उत्तम आनंद का पार्थिव शरीर गुरूवार को पूर्वाह्न जैसे ही घर पहुंचा, चारों ओर कोहराम मच गया। 70 वर्षीय पिता अधिवक्ता सदानंद को रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। वह समझ नहीं पा रहे थे कि वह खुद को संभालें या बहू और उनके बच्चों को। दिवंगत जज की पत्नी जज के पार्थिव शरीर से लिपट कर दहाड़े मार कर रोने लगीं। वह बार बार बेहोश हो रही थी। सभी लोग उन्हें संभालने लगे। एक ओर स्वजनों के चीत्कार से पूरा मोहल्ला शोक में डूब गया वहीं दूसरी ओर वहां पहुंचे पड़ोसियों व शुभचितकों की आंखें भी नम हो गई। किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि एडीजे उत्तम आनंद अब उनके बीच नहीं रहे। इधर दिवंगत एडीजे के पार्थिव शरीर को शीशे के ताबूत में लोगों के दर्शन के लिए रखा गया। एक ओर लोग बारी बारी से उनका अंतिम दर्शन कर गुजर रहे थे तो दूसरी ओर ताबूत के पायताने कुर्सी पर बैठा दिवंगत एडीजे का 10 वर्षीय पुत्र क्रिशू आनंद एकटक गुम सुम होकर अपने पिता के पार्थिव शरीर को निहार रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके पिता क्यों चुपचाप लेटे हुए हैं। वह उससे बात क्यों नहीं कर रहे हैं। इधर जब दिवंगत एडीजे के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार से लिए तैयार किया जाने लगा तब भी क्रिशु की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसे कभी दादा संभाल रहे थे तो कभी उसके चाचा। उसके बाद बारी आइ शवयात्रा के लिए पार्विव शरीर को तैयार करने की। इस बीच क्रिशु गुमसुम बैठा रहा। अंतिम संस्कार के लिए खीरगांव मुक्तिधाम शमशान पहुंचने पर उसके दादा उसे और उसके चचेरे भाई के कंधे पर हाथ रखकर अपने आंसू पीने का प्रयास करते रहे। इधर चिता पर एडीजे के पार्थिव शरीर को अग्निसंस्कार के लिए तैयार किया जाने लगा। वह अपने दादा के इशारे पर हाथ बंटाता रहा। इसके बाद अपने दादा के साथ ही जब उसने अपने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी तब तक उसे सारी बातें समझ आ चुकी थी। क्योंकि उसकी आंखों से आंसू की बूंदें उसके चेहरे पर गिरने लगे। वहीं पथराई आंखों से उसके दादा ने पोते के आंसू पोछते हुए उसे गले लगा लिया।

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