गांव जहां शराब पीने, पिलाने, बनाने और जुआ खेलने पर लगता है जुर्माना
टांप बाक्स सदर प्रखंड के अमनारी गांव में पांच दशक पूर्व लिया गया था फैसला पाचवीं पीढ़ी निभा
टांप बाक्स
सदर प्रखंड के अमनारी गांव में पांच दशक पूर्व लिया गया था फैसला
पाचवीं पीढ़ी निभा रहा निर्णय, हिदू मुस्लिम दोनों करते है भरपूर पालन
अरविद राणा, हजारीबाग : पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में जहां एक ओर लोग पुरानी परंपराओं को तिलांजलि देकर विलासाता और दिखावे का जीवन जीने के सबकुछ करने को तैयार है। वहीं इन सब के बीच एक ऐसा गांव भी है,जो अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए निर्णय को आज भी आदर्श मानकर निभा रहा है। हम बात कर रहे है सदर प्रखंड के अमनारी गांव का, जहां शराब पीना, पिलाना बनाने के साथ साथ जुआ खेलना मना है। ऐसा करते पकड़े जाने पर 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपये का जुर्माना है। जुर्माने के साथ साथ उस पूरे परिवार को गांव में निर्वासितों की तरह जीवन यापन पांच सालों के लिए करनी पड़ती है। गांव के प्रधान अनुप कुमार शर्मा, पारा शिक्षक देवनारायण प्रसाद इस बात की पुष्टि करते हैं।
गांव की खुशहाली के लिए 50 साल पूर्व लिया गया था फैसला
सदर प्रखंड का अमनारी की जनसंख्या 35 सौ है। यहां हिदू व मुस्लिमों की संख्या बराबर है। परंतु परंपरा को दोनों लोग निभा रहे है। गांव को समृद्ध और सुखी बनाने की यह परंपरा शराब आज से 50 साल पहले लिया गया था, जब 1965 के आसपास भीषण अकाल हुआ । इस विभीषिका से गांव को उबारने तथा हर एक को समृद्ध बनाने का निर्णय गांव के हीं कुछ प्रबुद्ध लोग बैठक कर लिए थे। देवनारायण बताते है कि गांव के अगल बगल में ऐसे कई गांव है, जिसका जीविका हीं शराब पर संचालित है। पर उन लोगों की माली हालत खराब है। जिससे सबक लेकर यह व्यवस्था स्थापित की गयी थी।
शत प्रतिशत खेती कार्य करता है गांव, कई है देश की सेवा में
अमनारी गांव में शत प्रतिशत खेती होती है। हांलाकि शहरी क्षेत्र से सटा होने के कारण अमनारी में शैक्षणिक स्थिति बेहतर है और कई लोग नौकरी पेशा रहकर देश सेवा का कार्य कर रहे है।
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यह सच है कि अमनारी गांव में शराब पीने, पिलाने, बेचने तथा जुआ खेलने पर प्रतिबंध है। इस निर्णय को सभी अक्षरश : पालन करते है, इसलिए किसी को जुर्माना लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। यह शिक्षा और जागरुकता के मामले में भी आगे है।
अनुप कुमार शर्मा, ग्राम प्रधान, अमनारी, सदर प्रखंड