दशकर्म पर लगाते हैं पौधा, याद रखते हैं अक्षुण्य

बाटम चौपारण प्रखंड के कई गांवों ने लोग अपने स्वजनों की याद में लगाते हैं पौधे शशि शेखर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 09:22 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:22 PM (IST)
दशकर्म पर लगाते हैं पौधा, याद रखते हैं अक्षुण्य
दशकर्म पर लगाते हैं पौधा, याद रखते हैं अक्षुण्य

बाटम

चौपारण प्रखंड के कई गांवों ने लोग अपने स्वजनों की याद में लगाते हैं पौधे

शशि शेखर, चौपारण (हजारीबाग) : सनातन धर्म में प्रकृति के हर अंग की पूजा, सेवा व सुश्रूषा की जाती है। सर परंपरा के पीछे विश्वास, निष्ठा के साथ ही विज्ञान का पुट समावेशित होता है। प्रगति की अंधी दौड़ में भले ही हम अपने मानवीय परंपराओं से दूर होते चले गये, इनकी अवहेलना करने लगे पर वैश्विक महामारी कोविड ने मानव जगत कि कथित प्रगति को भयंकर नाश देकर झकझोर दिया है। ऐसे में आज का चिकित्सीय विज्ञान इस महामारी से निपटने के लिए फिर से पूरानी अवधारना को समेटने, स्वीकारने और अंगीकार करने की सलाह दे रहा है। आश्चर्य तो तब होता है जब हम पुराने सनातन तरीके को अपनाकर लाईलाज कोविड को जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं। बात चाहे काढ़ा की हो, भांप लेने की हो या पौधे लगाने की हो। हर परंपरा हमें पीछे जाने की ओर विवश करते हैं। ऐसे में जब समाज से बेहद प्रेरणादायी सुचनाएं आती हैं तो उसे सभी के लिए अनुकरणीय माना जाता है। ऐसे ही एक परंपरा का निर्वाहन चंद्रवंशी समाज बीते चार सालों से करता रहा है। दर असल चंद्रवंशी समाज द्वारा बीते चार सालों से किसी प्रियजन के निधन पर आयोजित होने वाले दशकर्म पर याद को अक्षुण्ण बनाये रखने तथा पर्यावरण में ऑक्सीजन के संचार की प्रचुरता को बरकरार रखने के लिए पौधा लगाते आ रहे हैं। हजारीबाग क्षेत्र के चौपारण व चतरा जिले के ईटखोरी और मयुरहंड प्रखंडों में बकायदा सामाजिक निर्देश पर इसका अनुपालन किया जाता है। बिगहा स्थित चंद्रवंशी समाज द्वारा संचालित सामाजिक ताने बाने को यह अनुपम उपहार कोल इंडिया के पूर्व कर्मी फुलवरिया निवासी राजेंद्र राम ने दिया। उनका संदेश लोगों को पसंद आया और आज यह एक मुहिम बन चुका है। इस समाज की क्षेत्र में अच्छी आबादी है। लिहाजा निधन होने पर पौधे भी बड़ी संख्या में लगाये गये। आज वही पौधे पेड बनकर पर्यावरण को भरपूर ऑक्सीजन दे रहे हैं जिससे कोविड से लडने में सहायता मिल रही है। बीते चार सालों में सैकडों पेड़ क्षेत्र में लहलहा रहे हैं। पौधे लगाने की इस परंपरा को कोरोना काल में भी बरकरार रखा गया। दर असल बीते पखवारे इगुनियां के मुल निवासी कृषि वैज्ञानिक सह कृषि अर्थशास्त्री डॉ बीके सिंह के निधन के बाद दशकर्म पर उनकी याद में उनके पुत्र चंदन सहित अन्य ने नीम और पीपल के पेड़ लगाये गये।

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