आधी अधूरी तैयारी, कैसे होगी कोरोना से जंग

फोटो - 13 वेंटिलेटर नहीं एचएफएनओ और बाइपैप के भरोसे हो रहा इलाज कोरोना संक्रमित

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 08:22 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 08:22 PM (IST)
आधी अधूरी तैयारी, कैसे होगी कोरोना से जंग
आधी अधूरी तैयारी, कैसे होगी कोरोना से जंग

फोटो - 13

वेंटिलेटर नहीं, एचएफएनओ और बाइपैप के भरोसे हो रहा इलाज

कोरोना संक्रमितों के इलाज पर खरीदे गए वेंटिलेटर्स , ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स नहीं है उपयोगी

रमण कुमार, हजारीबाग : वैश्विक महामारी कोविड 19 का संक्रमण जिले में चरम पर है। संक्रमित मरीजों एवं उनके परिजन व्याकुल हैं कि उन्हें बेहतर जीवनदायी इलाज कैसे उपलब्ध हो। लेकिन जिले का स्वास्थ्य ढांचा लचर हालत में है। विगत वर्ष के विपरीत जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी कोरोना संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम को लेकर समुचित सक्रियता नहीं है। कोरोना संक्रमण की गंभीरता का पूर्वानुमान करने में तो असफल रहने बाद भी अब संकट सिर पर होने पर भी कार्य की गति मंथर है। यही कारण है कि कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए खरीदे गए वेंटिलेटर्स दुरूस्त नहीं हो पाए और साथ ही कई आवश्यक तैयारियों में पीछे रहना पड़ रहा है। जिसका खामियाजा आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। जानकारी के अनुसार जिला के मेडिकल कालेज अस्पताल में कोरोना संक्रमितों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न माध्यमों से विगत वर्ष से लेकर अब तक 30 वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराए गए थे। लेकिन वेंटिलेटर्स उपलब्ध होने के बाद उसके संचालन के लिए कभी भी गंभीर प्रयास नहीं किए गए। यही कारण है कि जब कोरोना संक्रमण अपने चरम है और वेंटिलेटर्स की मांग जोर शोर से की जा रही है, वेंटिलेटर्स चालू हालत में ही नहीं है। जानकारों की माने तो 10 वेंटिलेटर्स तो पूरी तरह से कंडम हैं। वहीं बाकी में भी कुछ न कुछ थोड़ी बहुत खराबी है। तकनीशियनों के अभाव में उन्हें दुरूस्त नहीं किया जा सका। हालांकि सांसद जयंत सिन्हा ने संकट के समय अपने सांसद मद से कुल 6 वेंटिलेटर्स अस्पताल को उपलब्ध कराए हैं। लेकिन इन कंपनियों से संपर्क करने पर इनके प्रतिनिधि वेंटिलेटर्स की मरम्मती के लिए यहां आने को तैयार नहीं है। अब भरोसा केवल सांसद जयंत सिन्हा के द्वारा वर्तमान में उपलब्ध कराए गए 6 वेंटिलेटर्स पर ही है। जानकारी के मुताबिक पीएम केयर फंड से अस्पताल में 5 बाईपैप मशीन एवं 10 एचएफएनओ भी कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए उपलब्ध कराया गया था। इनमें से सभी पांच बाईपैप कार्यरत हैं। जबकि 10 एचएफएनओ में से 4 का उपयोग किया जा रहा है, बाकी के 6 में जिस वायर की जरूरत है, वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अब तक गंभीर मरीजों का इलाज 5 बाईपैप एवं चार एचएफएनओ के सहारे चल रहा है।

नहीं तैयार किया जा सका ऑक्सीजन प्लांट कोरोना संकट में सबसे बडी समस्या ऑक्सीजन की उपलब्धता ही है। लेकिन स्थिति की भयावहता का पूर्वानुमान नहीं होने के कारण जिला प्रशासन ऑक्सीजन प्लांट या पर्याप्त संख्या में सिलेण्डरों का भंडारण नहीं कर पाया। वहीं जानकारों बताते हैं कि सौ बेड का कोई अस्पताल ऑक्सीजन के नाम जितना खर्च करता है ,उतनी राशि में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा सकता है। सौ मरीजों की आवश्यकता के लिए करीब 40 लाख रूपए में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जा सकती थी।

ट्रेंड टेक्नीशियनों की है भारी कमी

जानकारों की माने तो आईसीयू के संचालन के लिए आईसीयू ट्रेंड कर्मियों की कमी के कारण सामान्य नर्सिंग स्टाफ से कार्य लिया जा रहा है। इस कारण भी मरीजों को आईसीयू का बेहतर लाभ नहीं मिल पाता है।

chat bot
आपका साथी