संकट बढ़ा तो फिर सक्रिय हुए कोरोना योद्धा

फोटो - 22 एसबीएमसीएच के डाक्टर व कर्मी कोरोना लहर थामने के प्रयास में जुटे अपनी जान की

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 09:03 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 09:03 PM (IST)
संकट बढ़ा तो फिर सक्रिय हुए कोरोना योद्धा
संकट बढ़ा तो फिर सक्रिय हुए कोरोना योद्धा

फोटो - 22

एसबीएमसीएच के डाक्टर व कर्मी कोरोना लहर थामने के प्रयास में जुटे

अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना संक्रमितों का रख रहे हैं ध्यान

संस, हजारीबाग : जिले में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है। इस कारण बड़ी संख्या में आनेवाले संक्रमित मरीजों के कारण सरकारी व निजी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव है। अस्पताल संसाधनों से लेकर मैन पावर तक की कमी से जूझ रहे हैं। लेकिन डॉक्टर, नर्स व अन्य सभी पारा मेडिकल स्टाफ समय की परवाह किए बेगैर दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे हैं। कोरोना का बढता संक्रमण एवं घातक रूप इन कोरोना योद्धाओं के जज्बे को कम नहीं कर पाया है। ऐसे कोरोना योद्धा सलाम के लायक हैं। मिली जानकारी के मुताबिक शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल में वर्तमान में कोरोना संक्रमितों के इलाज को लेकर 31 बेड का आईसीयू , 62 बेड का कोविड केयर सेंटर एवं आईसोलेशन वार्ड का संचालन किया जा रहा है। कुल मिलाकर वर्तमान में एसबीएमसीएच में 99 संक्रमित मरीज भर्ती हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है। हालांकि वर्तमान में अस्पताल में पारा मेडिकल कर्मियों एवं वार्ड ब्याय की घोर कमी है। वर्तमान में पुराने 9 वार्ड ब्याय के सहारे ही अस्पताल में संक्रमितों मरीजों की सेवा दी जा रही है। हालांकि उपायुक्त ने अपने स्तर से आउटसोर्सिंग के माध्यम से 12 अतिरिक्त वार्ड ब्याय की सेवा देने की बात कही थी, जिसमें से अभी मात्र दो वार्ड ब्याय कार्यरत हैं। देवतुल्य इन वार्ड ब्याय में ज्योति दयाल, विक्की कुमार, मो. अफजल, सुबोध कुमार, राहुल कुमार, संदीप कुमार, गिरिधारी प्रजापति, सोनू कुमार एवं अजीत कुमार शामिल हैं। जबकि डाक्टरों की बात करें तो अस्पताल के मेडिसिन विभाग की एसआर डा. गुंजन, डा. पूनम कुमारी मुंडा, डा. नीलाशीष डे सहित अन्य एसआर एवं जेआर डाक्टर्स सीनियर डाक्टरों के निर्देशन में कोविड मरीजों के उपचार में दिन रात लगे हैं। आलम यह है कि लोग डयूटी रोस्टर व समय की परवाह नहीं करते, बल्कि मरीजों को स्वस्थ्य बनाने में यकीन करते हैं। यही कारण है कि कम संसाधनों के बीच भी अब तक बडी संख्या में मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर लौट पाए हैं।

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