युद्ध व विपत्तिकाल की तरह है कोरोना संकट : डॉ. शुक्ला

हजारीबाग स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय एवं रामगढ़ महाविद्यालय के संयुक्त प

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 08:40 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:10 AM (IST)
युद्ध व विपत्तिकाल की तरह है कोरोना संकट : डॉ. शुक्ला
युद्ध व विपत्तिकाल की तरह है कोरोना संकट : डॉ. शुक्ला

हजारीबाग : स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय एवं रामगढ़ महाविद्यालय के संयुक्त प्रयास से बुधवार को कोरोना संकट एवं योग की प्रासंगिकता विषय पर ई-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन की अध्यक्षता करते हूए स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. ताराकांत शुक्ल ने कहा कि कोरोना संकट का यह वक्त युद्धकाल एवं विपत्तिकाल की तरह है, जिसपर हम अपनी प्राचीन परंपरा में विद्यमान ज्ञानस्त्रोत योग एवं आयुर्वेद की सहायता से विजय प्राप्त कर सकते हैं। मुख वक्ता राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित प्रो. डा. चंद्रकांत शुक्ल ने कहा कि योग का अर्थ है, चित्त की वृत्तियों को रोकना। कोरोना के सबसे बड़े भय संक्रमण से बचने के लिए महर्षि पतंजलि योग के प्रथम अंग शौच यानि शुचिता अथवा स्वच्छता बनाए रखने की आज के संदर्भ में विशेष आवश्यकता है। छात्र पुरुषोत्तम कुमार एवं राजीवरंजन ने योग से संबंधित प्रश्न पूछे। संस्कृत भारती के कार्यकर्ता डॉ सुनील कुमार कश्यप ने संस्कृत भाषा में मुख्य वक्ता का धन्यवाद ज्ञापन किया। प्राचार्य रामगढ़ कालेज डा.मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि योग शातचित्त होने में हमारी मदद करता है और जो पऱपरा को विस्मृत करते हैं, वे पीड़ा झेलने के लिए भी अभिशप्त होते हैं। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजिका डा. प्रीति कमल ने किया। आनलाइन इस व्याख्यान को संपन्न करने में तकनीकी सहायक वीरेन्द्र उराँव ने सहयोग दिया। व्याख्यान सुनने वाले छात्र-छात्राओं में संस्कृति विभाग स्नातकोत्तर, रामगढ़ कालेज एवं संत कोलम्बा कालेज के नलिनविलोचन, राजीव, रोशन , सूरज, पल्लवी, मृगेन्द्र, रविता, बालिका, ममता, जया, बबीता आदि की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

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