टमाटर की खेती से किसान हो रहे हैं लाल
विष्णुगढ़ प्रखंड के कुछ युवा किसान टमाटर की खेती से मिल रही उपज व राशि से अपने जीव
विष्णुगढ़ : प्रखंड के कुछ युवा किसान टमाटर की खेती से मिल रही उपज व राशि से अपने जीवन स्तर में उल्लेखनीय बदलाव ला रहे हैं। टमाटर की खेती से ये युवा किसान न सिर्फ अपनी आय में अच्छी खासी बढोत्तरी कर रहे हैं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भी युवाओं को रोजगार उपालब्ध करा रहे हैं। जानकारी के अनुसार 20 एकड़ जमीन में सात समूहों में बंट कर युवा किसान खेती कर रहे हैं। वैसी जमीन में जिसमें कभी मवेशी विचरन करते नजर आते थे, इन युवाओं की पहल पर कंटीले तारों से घेराबंदी कर टमाटर की खेती की जा रही है। विष्णुगढ़ के मंगलतरी स्थित खाली और परती जमीन में खेती करने में शामिल स्थानीय युवक और किसानों के समूह के प्रयास की र्सवत्र प्रशंसा की जा रही है। सात समूहों में बंटे युवाओं में मनोज पासवान, प्रदीप पासवान के अलावा सरैनी के रूपेश पाण्डेय एवं अमित कुशवाहा एवं टिकू कुशवाहा आदि द्वारा अपने प्रयास से क्षेत्र में खेती को नया रूप दिया गया है। इन युवाओं के प्रयास से खेती कर सप्ताह में सौ क्वींटल से उपर टमाटर की उपज ली जा रही है। सबसे बडी बात तो यह है कि खेती लावारिस और कमजोर जानवरों के विचरन करने वाले जमीन में की जा रही है। यहां खेती करना दूर खेती करने की सोचता तक नहीं था। जमीन की कंटीले तारों से घेराबंदी कर यहां टमाटर की खेती करने की शुरूआत रूपेश पाण्डेय ने मनोज पासवान एवं प्रदीप पासवान के साथ मिलकर चंद साल पूर्व की थी। अब इसके प्रति एक से बढकर इस साल सात समूह अलग अलग 20 एकड रकबा में टमाटर की खेती की है। यह सब्जी जैसी नकदी फसल के प्रति किसानों की बढ़ी आकर्षण का सुखद एहसास ही नहीं है। यह बेकारी की मार झेल रहे स्थानीय युवकों की आय का जरिया बन गया है। मनोज पासवान कहते हैं इस वर्ष टमाटर की खेती से आय अपेक्षा से कम होगी। खेती करने में प्रति एकड 50 से 75 हजार रूपये की लागत लगती। जिसमें मजदूरी, बीज, दवा, खाद के अलावा सिचाई का खर्च शामिल है। खेतों में फसल लगाने के बाद इसका विकास अपेक्षित रहा। पर सितंबर महीने में लगातार एक सप्ताह हुई वारिश से पौधों में लगे फूल छड गए। जिससे पैदावार प्रभावित हो गया। इससे भारी नुकसान हुआ।सप्ताह में सौ क्वींटल से उपर तोडे जा रहे टमाटर का खरीददार सुल्तानगंज, देवघर, धनबाद, हजारीबाग, के अलावा स्थानीय स्तर के कोराबारी होते हैं। यहां थोक में 1500 से 1700 रूपए प्रति क्वींटल टमाटर बेचा जा रहा है। मनोज ने बताया कि यह फसल 15 दिसंबर के बाद खत्म हो जाएगा। आगे टमाटर की रबी फसल उगाने की के लिए फरवरी के पहले सप्ताह से खेती का कार्य शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने खेती के लिए अनुदान की मांग की है। अच्छी आमदनी की उम्मीद में किसान युवकों अपनी टमाटर की खेती में मशगूल हैं। हालांकि बारिश से टमाटर की फसल को नुकसान होने की आशंका बलवती हो गई है।