करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं बदली बरही बाजार की सूरत
बरही पिछले 5 वर्षों के दौरान बरही चौक का कायाकल्प हुआ। स्वच्छ व सुंदर बरही निर्माण
बरही : पिछले 5 वर्षों के दौरान बरही चौक का कायाकल्प हुआ। स्वच्छ व सुंदर बरही निर्माण के लिए कई विकास कार्य हुए। रौनक साथ आबादी भी बढ़ी और बरही शहर की ओर अग्रसर दिखने लगा है। लेकिन, दूसरी ओर बरही बस पड़ाव व बाजार व्यवस्थित करने व बरही नगर पंचायत का सपना अधूरा रह गया। करोड़ों खर्च के बाद भी लोगों को जाम से निजात नहीं मिल सका है। चौक और उसके आसपास कई अव्यवस्थाओं और कठिनाइयों के बीच संचालित होने वाला बस पड़ाव बिना ब्रेक के चलता रहा। उचित स्थान नहीं मिलने के कारण सड़क किनारे ठेला छोटी दुकानें बेतरतीब ढंग से लगती रही। अतिक्रमण व गंदगी से निजात पाने के लिए उठाए गए कदम भी कमजोर रहे। बरहाल स्वच्छ और सुंदर बरही का सपना अधूरा है। विस्तारीकरण व सुंदरीकरण तहत बरही चौक का गोलंबर भले ही अलग नजर आ रहा हो लेकिन, पहले तो संवेदक ने गुणवक्ता से जमकर खिलवाड़ किया। गोलंबर निर्माण बाद समुचित देखभाल का अभाव रहा। गोलंबर में लगे फुहारे और टाइल्स उखड़ने लगे, हरियाली के जगह घास व फूल पत्ती सूखे दिख रहे हैं। हमेशा व्यस्त रहने के बाद भी बरही चौक पर ट्रैफिक पुलिस, ट्रैफिक सिग्नल लाइट, पेयजल या पियाऊ, यात्री शेड जैसी कई बुनियादी जरूरतों की पूर्ति अब तक नहीं हो पाई।
वीरान है सरकारी बस पड़ाव :
सरकारी बस पड़ाव का जीर्णोद्धार बाद विधायक मनोज कुमार यादव ने 26 फरवरी 2015 को उद्धघाटन किया था। उद्घाटन के चार साल बाद भी सरकारी बस पड़ाव का उपयोग नहीं हो पाया। बस पड़ाव आज भी यूं ही विरान पड़ा है। बरही चौक व उसके आसपास वर्षों से संचालित बस टैक्सी स्टैंड अब तक वहीं संचालित है। सड़क जाम व दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बरही चौक का सुंदरता भी प्रभावित होती है।
डाक बंगला में लटक गया ताला :
बरही बस पड़ाव परिसर में जिला परिषद के माध्यम से वर्ष 2017 में दो मंजिला डाक बंगला का निर्माण किया गया। निर्माण में करीब 30 लाख की खर्च हुआ। लेकिन, यहां बस पड़ाव शुरू नहीं होने के कारण नवनिर्मित डाक बंगला में ताला लटका रहता है। डाक बंगला में रेस्तरां खुला वह भी यात्रियों के अभाव में कुछ ही माह बाद बंद हो गया।