डॉ. केपी शर्मा ने तैयार किया लीडरशिप पाठ्यक्रम
सर्वोपरि होते हैं जनप्रतिनिधि। आईएएस उनके मातहत होते हैं। मातहत के लिए सर्वोत्कृष्ट प्रतिय
सर्वोपरि होते हैं जनप्रतिनिधि। आईएएस उनके मातहत होते हैं। मातहत के लिए सर्वोत्कृष्ट प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण होने की जरूरत पड़ती है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व के लिए किसी योग्यता की वैधानिक जरूरत नहीं है। भारत विशाल लोकतंत्र का वाहक है। इसे परिनिष्ठित लीडरशिप की जरूरत है। इसी के तहत मैंने लीडरशिप डेवलपमेंट पाठ्यक्रम तैयार किया है। लीडरशिप डेवलपमेंट पाठ्यक्रम की यही पृष्ठभूमि है। उक्त बातें विभावि के सेवानिवृत्त शिक्षक सह पाठ्यक्रम निर्माता डॉ. केपी शर्मा ने बुधवार को जागरण से कही। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम में कुल 14 अध्याय शामिल हैं। पाठ्यक्रम इंटर के बाद की शिक्षा के लिए है। डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक वर्षीय, स्नातक तीन वर्षीय व स्नातकोत्तर के लिए दो वर्षीय पाठ्यक्रम है। उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम की जानकारी न तो राज्य सरकार को, न केंद्र सरकार को, न तो यूजीसी को और न ही राजभवन को दी गयी है। स्व वित्त पोषित पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल किया जा सकता है। डॉ. शर्मा ने बताया कि आम आदमी यह महसूस कर रहा है कि लोकतंत्र के शक्तिशाली पहलू होते हैं जनप्रतिनिधि, जिनकी योग्यता में निखार के लिए यह पाठ्यकम जरूरी होगा। विश्वविद्यालय इसकी महत्ता को जरूर समझेंगे। मालूम हो कि यह मौलिक पाठ्यक्रम रूप से पहली बार नमूदार होगा, जिसका ऐतिहासिक महत्त्व वक्त आंकेगा।