अशिक्षा के कारण समाज में अंधविश्वास के मिल रही है बढ़ावा : उपायुक्त

जागरण संवाददाता गुमला नगर भवन गुमला में महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के तत्वावधान में किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 08:15 PM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 08:15 PM (IST)
अशिक्षा के कारण समाज में अंधविश्वास के मिल रही है बढ़ावा  : उपायुक्त
अशिक्षा के कारण समाज में अंधविश्वास के मिल रही है बढ़ावा : उपायुक्त

जागरण संवाददाता, गुमला : नगर भवन गुमला में महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के तत्वावधान में डायन कुप्रथा उन्मूलन हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर उपायुक्त द्वारा डायन प्रथा उन्मूलन से संबंधित जागरूकता पोस्टरों का अनावरण किया गया। कार्यशाला में उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा ने कहा कि डायन कुप्रथा एक अंधविश्वास है जो समाज के लिए अभिशाप है। यह एक ऐसी कुप्रथा है जिससे पूरा राज्य प्रभावित है, इस अभिशाप से गुमला जिला भी अछूता नहीं है। हमें ऐसी कुरीतियों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से आज इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा किन कारणों से लोग महिलाओं को डायन घोषित करते है, इसकी पहचान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा इसमें गरीब महिलाओं को ही डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है। उपायुक्त ने कहा अशिक्षा के कारण हमारे समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा मिल रहा है। शिक्षा एवं जागरूकता से ही इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है। झारखंड को डायन नामक कलंक से मुक्ति दिलाने का बीड़ा जिन चंद संस्थाओं और लोगों ने उठाया है, उनमें छुटनी देवी का नाम सबसे ऊपर है। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस गांव की छुटनी देवी को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। डीडीसी संजय बिहारी अम्बष्ठ ने अपने संबोधन में कहा डायन प्रथा/ अंधविश्वास/ झाड़-फूंक जैसे कुरीतियों का सम्पूर्ण उन्मूलन ही इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा अंधविश्वास की जड़ें ग्रामीण क्षेत्रों में गहराई तक बैठी है। मूल रूप से अशिक्षा इसका मूल कारण है। कार्यक्रम में सदर अनुमंडल पदाधिकारी रवि आनन्द ने कहा शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता के माध्यम से ही इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है। कार्यशाला में अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि हमे एकजुट होकर इस कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा में कार्य/रणनीति बनाना होगा। अशिक्षित लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्हें शिक्षित कर इस कुप्रथा के प्रति जागरूक करें। शिक्षा के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई, स्वच्छता, चिकित्सकीय परामर्श आदि के प्रति जागरूक कर डायन प्रथा जैसी कुरीति को समाप्त करने में सहायता मिलेगी। आली फाउंडेशन की रेशम, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी गुमला सीता पुष्पा, जिला पशुपालन पदाधिकारी, पुलिस निरीक्षक (मानव तस्करी विरोधी) अरूण कुमार ने भी कार्यशाला को संबोधित किया।

chat bot
आपका साथी