बुनियादी सुविधाओं से महरुम है आदिम जनजातियों का तेतरडीपा गांव

संतोष कुमार गुमलासमय के साथ शहर और शहर के निकट के गांवों का जरुर विकास हुआ है

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:33 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 10:33 PM (IST)
बुनियादी सुविधाओं से महरुम है आदिम जनजातियों का  तेतरडीपा गांव
बुनियादी सुविधाओं से महरुम है आदिम जनजातियों का तेतरडीपा गांव

संतोष कुमार, गुमला:समय के साथ शहर और शहर के निकट के गांवों का जरुर विकास हुआ है। लेकिन सुदूरवर्ती गांवों में आज भी बुनियादी सुविधाओं से लोग महरुम है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं भी गांव के लोगों तक नहीं पहुंचती है। चुनाव के दौरान और किसी बड़े कार्यक्रम में अधिकारी, राजनेताओं द्वारा गांव के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने की बात कही सुनी जाती है। लेकिन ग्राउंड लेवल पर विकास की जमीनीं हकीकत कुछ और बयां करती है। जिला मुख्यालय से महज 12 किमी. दूरी पर स्थित तेतरडीपा गांव जहां आदिम जनजाति कोरबा के 17 परिवार निवास करते हैं। जंगल और पहाड़ी पर बसा इस गांव में पानी, बिजली, शौचालय, शिक्षा, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव हैं। सरकार की कल्याणकारी योजना के नाम पर कुछ लोगों को विधवा और वृद्धा पेंशन मिलता है। गांव में आवास योजना से कोई आच्छादित नहीं है। एक घर भी पक्का नहीं है। इस गांव के लोगों की संघर्ष की कहानी उनकी दिनचर्या में शामिल है। सुबह उठते ही सालों भर लोगों को पानी के लिए घर से लगभग एक किमी दूर खेत में बना कुआं जाना पड़ता है। घर की बच्चियां ही बर्तन में पानी भरकर सिर पर रखकर पहाड़ी चढ़ाई करते हुए घर आती हैं। यह सिलसिला दिन में कई बार चलता रहता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत ओडीएफ का अभियान चला लेकिन इस गांव में एक भी शौचालय नहीं बना। गांव के लोग खुले में शौच करने को विवश हैं। मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना से भी गांव के लोग अनभिज्ञ हैं। गांव में वर्षो पूर्व एक स्कूल का निर्माण हुआ लेकिन वह भी पूरा नहीं हो सका। आंगनबाड़ी केंद्र भी गांव में नहीं है। इस गांव की सभी बच्चियां कस्तूरबा गांधी विद्यालय में बढ़ती है लेकिन गांव के बच्चे पांचवी के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं।

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