नमो देव्यै : महादेव्यै : खुद ब्लैक बोर्ड खरीद बच्चों को शिक्षित करती रही सरिता

गुरदीप राज गुमला कोरोना काल के कारण स्कूल लंबे समय से बंद थे। लाकडाउन के कारण घ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 10:39 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 10:39 PM (IST)
नमो देव्यै : महादेव्यै : खुद ब्लैक बोर्ड खरीद बच्चों को शिक्षित करती रही सरिता
नमो देव्यै : महादेव्यै : खुद ब्लैक बोर्ड खरीद बच्चों को शिक्षित करती रही सरिता

गुरदीप राज, गुमला : कोरोना काल के कारण स्कूल लंबे समय से बंद थे। लाकडाउन के कारण घर से निकलना मुश्किल था। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई की चिता कामडारा राजकृत मध्य विद्यालय सुरबुल की पारा शिक्षिका सरिता लकड़ा को सता रही थी। तब उन्होंने गांव के घर-घर जाकर अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरुक किया। उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर 20-25 बच्चे प्रतिदिन गांव सुरबुल के कटहल पेड़ के नीचे पढ़ने के लिए पहुंचते थे। बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षिका ने खुद के रुपये से ब्लैक बोर्ड की व्यवस्था की और पेड़ के नीचे ही ब्लैक बोर्ड में प्रतिदिन सुबह आठ से दस बजे तक बच्चों को पढ़ाती थी। इस कक्षा में कक्षा एक से छह के बच्चे प्रतिदिन आते थे।

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खेल खेल में सिखाती थी पढ़ाई करना

बच्चों में पढ़ाई की रुचि पैदा करने के लिए संगीत के माध्यम से व खेल खेल में इन बच्चों को शिक्षिका पढ़ाई थी, जमीन पर गिनती लिख देती थी और बच्चों को कभी दस, कभी 15 तो कभी 20 के अंक पर कूदने के लिए कहती थी। इस तरह एक से सौ तक की गिनती में बच्चों को बार बार कह कर कूदाती थी। ऐसे में बच्चे खेल खेल में ही एक से सौ तक की गिनती सिख जाते थे। जो बच्चे कक्षा में नहीं आ पाते थे वैसे बच्चों के घर में जाकर उसे कक्षा में आने के लिए प्रेरित करती थी और जरुरत पड़ने पर उनके घर में बैठकर भी बच्चों को पढ़ाने का काम करती थी। पूरे लॉकडाउन के दौरान शिक्षिका सरिता लकड़ा ने बच्चों को शिक्षित करने का काम किया। शिक्षिका के इस प्रयास से गांव वाले भी बहुत खुश थे।

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