विश्व मातृ दिवस : वात्सल्य प्रेम श्रद्धा विश्वास और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है मां

संवाद सूत्रगुमला वात्सल्य प्रेम श्रद्धा विश्वास और त्याग की प्रतिमूर्ति है मां। कठिन परिस्थिति में

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:37 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 08:37 PM (IST)
विश्व मातृ दिवस : वात्सल्य प्रेम श्रद्धा विश्वास और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है मां
विश्व मातृ दिवस : वात्सल्य प्रेम श्रद्धा विश्वास और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है मां

संवाद सूत्र,गुमला : वात्सल्य, प्रेम, श्रद्धा, विश्वास और त्याग की प्रतिमूर्ति है मां। कठिन परिस्थिति में मार्गदर्शक है मां। मां शब्द जितना छोटा है उसका सार उतना ही विशाल होता है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गुमला की शिक्षिका सह वार्डेन के पद पर कार्यरत रोहिणी प्रसाद कोरोना काल में अपने कार्य के प्रति विशेष सजग रहती हैं। विद्यालय में पढ़ने वाली ड्राप आउट और अभिवंचित वर्ग के बच्चियों के संस्कार युक्त शिक्षा और पुर्नवास का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। कोरोना काल में स्कूल बंद रहने पर बच्चे अपने घरों में हैं फिर भी वह उन्हें कोरोना संकट से दूर रखने के लिए भी प्रयास करती हैं। बच्चियों से लगातार फोन पर बात कर उन्हें इन्युनिटी बढ़ाने का टिप्स देती हैं। बच्चियों को नियमित व्यायाम और साफ-सफाई के लिए प्रेरित करती हैं। रोहिणी कहती है कि जब उसकी नियुक्ति कस्तूरबा विद्यालय में हुई तब उनके पिताजी ने एक मूल मंत्र दिया था। उनका कहना था कि नौकरी शिक्षिका की है लेकिन कर्तव्य माता का निभाना होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए अभिवंचित बच्चियों का विद्यालय में एक मां की तरह ख्याल रखते हुए उनके भविष्य संवारने का काम करते रही। रोहिणी प्रसाद ने बच्चियों को जिस तरह से स्नेह दिया। वही स्नेह बच्चियों ने भी अपने शिक्षिका को दी। बच्चियों का स्नेह और इनकी कर्तव्यनिष्ठ का परिणाम यह हुआ कि देश भर के कस्तूरबा की शिक्षिकाएं गुमला की रोहिणी प्रसाद को अपना मुखिया मनोनीत किया है। कोरोना काल के कारण बच्चियां भले ही अभी उनसे दूर हैं लेकिन उनके बीच स्नेह प्यार में कोई कमी न आयी है। वे संक्रमित होने के बावजूद अपने बच्चे व परिवार को सुरक्षित रखी हुई और घर में रह रहे अपने स्कूली छात्राओं को कोरोना संक्रमण से सुरक्षा का सलाह देती रहती है। कहती है वे विद्यालय की बच्चियों को भी अपनी बच्ची मानती है यही कारण है बच्चियां भी उन्हें माता जी ही बुलाती हैं।

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