किचन गार्डेन के नाम पर जिले में होती रही खानापूर्ति

जागरण संवाददातागुमला कुपोषण इस जिले की बहुत बड़ी समस्या है। कुपोषण उन्मूलन के लिए लंबे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 08:23 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:23 PM (IST)
किचन गार्डेन के नाम पर जिले में होती रही खानापूर्ति
किचन गार्डेन के नाम पर जिले में होती रही खानापूर्ति

जागरण संवाददाता,गुमला : कुपोषण इस जिले की बहुत बड़ी समस्या है। कुपोषण उन्मूलन के लिए लंबे अरसे से इस जिले में कई तरह के अभियान चलाए जाते रहे हैं। गुमला के सदर अस्पताल और रायडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुपोषण उपचार केंद्र बनाए गए हैं। सहियाओं को कुपोषित बच्चों का सर्वे करना था। उन्हें उनका इलाज कराना था। इलाज के दौरान बच्चे की मां या परिजन को रहना अनिवार्य किया गया था। परिजन को भी खाने और रहने के लिए एक सौ रुपये का भुगतान किया जाता रहा। लेकिन लड़कियां बालिग होने से पहले गर्भधारण करने या शादी होने आदि कारणों से न सिर्फ कुपोषित होती है जबकि कुपोषित बच्चे की मां भी बनती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिलाओं की खून की कमी दूर करने के लिए तरह-तरह के दवा बांटने का काम किया गया। दवा खिलाने की कोशिश की गई।

500 केंद्रों में बनना है किचन गार्डेन : आकांक्षी जिला घोषित होने के बाद सरकार ने एक अच्छी सोच पैदा करने की कोशिश की। आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डेन लगाने की अवधारणा को सामने लाया गया। बच्चों को पोषाहार दिया जाता है। इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों में फल और हरी सब्जियों को लगाने की योजना बनाई गई। दिखाने के लिए योजना का शुभारंभ भी किया गया। जेएसएलपीएस को यह काम सौंपा गया था। जारी प्रंखड में 12, भरनो प्रखंड में 42, बिशुनपुर प्रखंड में 51, चैनपुर प्रखंड में 30, डुमरी में 52, घाघरा प्रखंड में 47, गुमला प्रखंड में 38, कामडारा प्रखंड में 34, पालकोट प्रखंड में दस, सिसई प्रखंड में 52 और रायडी प्रखंड के 72 आंगनबाड़ह केंद्रों में किचन गार्डेन लगाने की योजना थी। इसके लिए स्वीकृत राशि दस लाख रुपये थी। पांच लाख ही खर्च हो पाई है। जिला योजना विभाग की माने तो किचन गार्डेन बनाने का काम चल रहा है।

chat bot
आपका साथी