तिलवरी पाठ व उमा कोना गांव की दास्तानी, न बिजली न पानी

राजेश कुमार चैनपुर (गुमला) मालम पंचायत के तिलवरी पाठ व उमा कोना गांव में कोरवा जाति क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 09:43 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 09:43 PM (IST)
तिलवरी पाठ व उमा कोना गांव की दास्तानी, न बिजली न पानी
तिलवरी पाठ व उमा कोना गांव की दास्तानी, न बिजली न पानी

राजेश कुमार चैनपुर (गुमला) : मालम पंचायत के तिलवरी पाठ व उमा कोना गांव में कोरवा जाति के करीब 150 की आबादी निवासी करती है। कोरवा जाति बहुत ही पिछड़ी जनजातियों में से एक है। आजादी के बाद भी इस गांव में बिजली नहीं पहुंची। कोरवा जाति के लोग आज भी ढिबरी युग में जी रहे हैं। मोबाइल, टीवी क्या होता है इन्हें नहीं मालूम। आज भी यह मेहनत मजदूरी कर अपना परिवार को पाल रहे हैं। पालम पंचायत के तिलवरी पाठ व उमा गांव में बुनियादी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। गांव में न ही बिजली है और न ही पीने के लिए स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था। गांव के लोग चुंआ व दाड़ी के पानी पीने को मजबूर है। बरसात के दिनों में चुआं व दाड़ी का पानी पी कर अक्सर यहां के ग्रामीण बीमार पड़ जाते हैं। पाठ क्षेत्र में बसे भोले भाले कोरवा जाति के लोग आज भी अपने गांव कि दशा पर आंसू बहा रहे हैं। शाम होते ही ग्रामीण अपने-अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं। गांव में अक्सर जंगली जानवर पहुंचने का खतरा बना रहता है। जानवर घुस जाने पर ग्रामीण एक जुट होकर लकड़ी इकट्ठा कर उसे जलाते हैं और रातजग्गा कर पहरेदारी शुरू कर देते हैं। ग्रामीण कई बार समस्या को लेकर प्रखंड कार्यालय में जाकर गांव की समस्याओं से पदाधिकारियों अवगत कराया लेकिन अब तक जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

---

कोट

गांव में कभी नेता जनप्रतिनिधि नही आते, हमारी आवाज को उठाने वाला कोई नही। गांव की तश्वीर बदलने का सपना लेकर हमारे पूर्वज स्वर्ग सिधार गए।

- लाल कोरवा गांव में स्कूल नहीं है। पीने को स्वच्छ पानी नहीं हैं। इस आधुनिक युग में लोग आगे बढ रहे हैं सभी अपनी एक अलग पहचान बनाने में भूमिका निभा रहे हैं। वहीं हमारा गांव समाज पिछड़ रहा है।

- पौलुस टोप्पो हमारे गांव में बिजली नही है और ना ही नलकूप। गांव में कभी बिजली की चमक को देखा नही गया है। चमचमाती बिजली को देखने के लिए आंखे तरस रही है।- संतु कोरवा

जो गांव तर्की कर रहा है उसी पर सबका ध्यान रहता है। लेकिन पिछड़े हुए गांव को आगे ले जाने की कोई नहीं सोचता।

-सुधीर कोरवा

chat bot
आपका साथी