बारिश के दिनों में तीन गांव बन जाता है टापू

संजय सिंह रायडीह (गुमला) गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती कोंडरा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 11:11 PM (IST)
बारिश के दिनों में तीन गांव बन जाता है टापू
बारिश के दिनों में तीन गांव बन जाता है टापू

संजय सिंह, रायडीह (गुमला) : गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के नक्सल प्रभावित सुदूरवर्ती कोंडरा पंचायत के तीन गांवों पंडरीपानी, डोंगयारी और लोहराडेरा के ग्रामीण श्रमदान से स्वनिर्मित लकड़ी की पुलिया से आवागमन करने को विवश हैं। बरसात के दिनों में पानी भर जाने से तीनों गांव के करीब दो हजार आबादी अपने-अपने ही गांव में कैद हो कर रह जाते हैं। क्योंकि एक मात्र यही रास्ता है जो गांव को मुख्यालय से जोड़ता है। इन तीनों गांव को अब तक राजस्व गांव के रुप में पहचान नहीं मिली है। इससे ग्रामीणों को उनका पूरा हक नहीं मिल पा रहा है। राजस्व गांव का दर्जा नहीं होने से इन गांवों का विकास भी अवरुद्ध है।

पंडरीपानी गांव के पास डूमर ढोढ़ा में ग्रामीणों ने श्रमदान कर लकड़ी का पुलिया बनाया है। ग्रामीण पैदल या साइकिल से पुलिया पार कर आते हैं। इन गांवों में सड़क भी नहीं है। ग्रामीण पगडंडी का इस्तेमाल कर आवाजाही करते हैं। पुलिया के दोनों किनारे खेत है। जो पानी से भरा हुआ है। बरसात के दिन में यह जल मग्न हो जाता है। पुलिया दिखाई नहीं देता है और तीनों गांव टापू बन जाते हैं। इससे कल्पना किया जा सकता है इन तीन गांव के दो हजार आबादी वाले ग्रामीण कैसे रहते होंगे। पिछले बरसात में डोंगयारी की एक बालिका को जहरीले सांप ने डस लिया था। तब उनके स्वजन अपनी जान जोखिम में डालकर पानी में डूबे लकड़ी के पुलिया से किसी तरह बालिका को लेकर नजदीक के जशपुर (अस्पताल) ले गए थे, पर उसकी जान नहीं बच पाई थी। यदि पुलिया और सड़क होता तो समय पर अस्पताल जाने में जान बच सकती थी। पंडरी पानी के रमेश सिंह की वृद्ध माता पार्वती देवी बीमार हो गई थी।उसे गेंडूआ( बांस का बना हुआ) में ढोकर पुलिया पार कराया गया। फिर उसे इलाज के लिए गुमला ले गये। वृद्धा पेंशन के लिए प्रत्येक माह इसी तरह वृद्धों को गेंडूआ में ढोकर पुलिया पार कराया जाता है। झारखंड राज्य का गठन हुआ 21 वर्ष हो गया। फिर यहां के ग्रामीण पौराणिक जीवन शैली में जीने को विवश हैं।इस दौरान कई पीढि़यां गुजर गई। लेकिन समस्या यथावत है। डोंगयारी में बिजली भी नही है। कोंडरा - रामरेखा धाम मुख्य पथ के कुकुरडूबा से पंडरी पानी, डोंगयारी , लोहराडेरा गांव तक पांच किलो मीटर कालीकरण और पुलिया का निर्माण होने पर ही ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी। उन्हे अपने नए राज्य बनने का अहसास होगा। इसके लिए प्रशासन और जन प्रतिनिधि उदासीन हैं।

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कोट तीन गांव की दो हजार आबादी एक पुलिया पर निर्भर है। यह गंभीर बात है। मैं जिला प्रशासन से बात करके जल्द ही सड़क और पुलिया का निर्माण कराने की पहल करूंगा।

- सुदर्शन भगत सांसद

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गांव में सड़क का अभाव है। जिसके कारण पगडंडी की उनका सहारा है। ग्रामीणों ने खुद श्रम दान कर पुलिया का निर्माण किया है।

-कहडू सिंह, ग्राम डोंगयारी -----

गांव के प्रति प्रशासन का उदासीन रवैया है। आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव का विकास नहीं हो पाया है। सड़क के अभाव में वाहन तक नहीं आते हैं गांव में।

-रमेश सिंह, ग्राम पंडरीपानी

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सड़क के अभाव होने के कारण बीमार व्यक्ति व बुजुर्ग को गेंडूआ में बैठाकर कंधे पर उठाकर पुलिया पार कराना पड़ता है। ताकि कुछ दूरी तक कर वाहन में बैठाकर उसे अस्पताल तल ले जाया जा सके।

-मदन सिंह, ग्राम डोंगयारी

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बरसात के दिन में यह लकड़ी का पुलिया जल मग्न हो जाता है। पुलिया दिखाई नहीं देता है और तीनों गांव टापू बन जाते हैं। इससे कल्पना किया जा सकता है इन तीन गांव के दो हजार आबादी वाले ग्रामीण कैसे रहते होंगे।

-गोपाल सिंह, ग्राम पंडरीपानी

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