एक दूसरे को झुठलाने के लिए ग्रामीण और पुलिस को करना होगा सबूत पेश

ग्रामीणों और पुलिस के दावे में आ रहे परस्पर विरोधाभास से सात दिसंबर को मतदान के दिन सिसई थाना के जिस बघनी गांव में मो. जिलानी की मौत हुई थी उस मामले में ग्रामीणों को पुलिस के दावे को झुठलाने और पुलिस को ग्रामीणों के दावे का खंडन करने के लिए अहम सबूत जुटाने की नौबत आ गई है। अनुसंधान आरंभ होने से पुलिस और ग्रामीण आमने सामने आते दिखाई पड़ रहे हैं। पुलिस जहां पोस्ट मार्टम रिपोर्ट को अपना आधार मानकर अनुसंधान कर रही है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 09:28 PM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 09:28 PM (IST)
एक दूसरे को झुठलाने के लिए ग्रामीण और पुलिस को करना होगा सबूत पेश
एक दूसरे को झुठलाने के लिए ग्रामीण और पुलिस को करना होगा सबूत पेश

जागरण संवाददाता,गुमला: ग्रामीणों और पुलिस के दावे में आ रहे परस्पर विरोधाभास से सात दिसंबर को मतदान के दिन सिसई थाना के जिस बघनी गांव में मो. जिलानी की मौत हुई थी, उस मामले में ग्रामीणों को पुलिस के दावे को झुठलाने और पुलिस को ग्रामीणों के दावे का खंडन करने के लिए अहम सबूत जुटाने की नौबत आ गई है। अनुसंधान आरंभ होने से पुलिस और ग्रामीण आमने सामने आते दिखाई पड़ रहे हैं। पुलिस जहां पोस्ट मार्टम रिपोर्ट को अपना आधार मानकर अनुसंधान कर रही है वहीं ग्रामीण और पीड़ित परिवार को यह यकीन ही नहीं होता है कि जिलानी की हत्या किसी ने धारदार हथियार से कर दी थी। यहीं उलझन अनुसंधान पदाधिकारी के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। जिसका तार्किक गांठ खोलना मुश्किल भरा काम है। अनबुझ पहेली को सुलझाना ओर मामले के तह पड़े गांठ को खोलना भले ही कठिन प्रतीत होता हो लेकिन एसपी अंजनी कुमार कहते हैं कि कानून अपना काम करेगा और कोई ऐसा मामला नहीं है जिस पर से पर्दा नहीं उठाया जा सके। हमें सच्चाई को भी सामने लाना है और पारदर्शिता का भी परिचय देना है। हमारे अनुसंधान पदाधिकारी इस कार्य में जुटे हुए हैं। पुलिस के आरंभिक अनुसंधान में यह कोशिश की जा रही है कि मतदान केंद्र के बाहर या प्रवेश द्वार पर मारे गए जिलानी या उसके पिता शखावत अंसारी से आखिर थी किसकी अदावत। इस कारण जिलानी और उसके परिवार का लाइफ रिकार्ड तलाशनी होगी खोज करनी होगी। पुलिस अभी फूंक फूंककर कदम उठा रही है। आवश्यकता पड़ी तो हम घर घर जाकर इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश करेंगे। चूंकि हमारे अनुसंधान का आधार अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही बचा है। यह देखना और पता लगाना होगा आखिर जिलानी को मारा किसने। चूंकि धारदार हथियार से हत्या होने की बात पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में आई है। हमने गांव में शांति समिति की बैठक की थी। बूथ पर सभी रायफलधारी तैनात थे। किसी ग्रामीण ने शांति समिति की बैठक में पुलिस पर चाकू या धारदार हथियार लेकर रहने का आरोप नहीं लगाया है। यदि ग्रामीण पुलिस पर धारदार हथियार का प्रयोग करने का आरोप लगाते तो उनकी बातों में हमें दम नजर आता। ऐसी स्थिति में हमें आशंका है कि अदावत में या अकस्मात किसी व्यक्ति के धारदार हथियार उपयोग करने के कारण मो. जिलानी अंसारी घायल होकर दम तोड़ा था। यही कारण है कि हमें उन बिदुओं की खोज करनी है जो हत्या के वास्तविक कारण हैं। घटना में शामिल हत्या या गैर इरादतन हत्या करने वाले की पहचान करनी है। साथ ही साथ घटना स्थल की प्रमाणिकता साबित करनी है। इसके लिए हम अहम सबूत जुटाने के प्रयास में लगे हुए हैं।

क्या क्या हो सकते हैं सबूत

जिलानी पर जिस समय वार हुआ वह जगह थी कहां , आखिर जिलानी के शरीर से खून गिरा था तो कहां, जिलानी को अस्पताल पहुंचाने वालों से करनी होगी पूछताछ, उनसे ही यह पता चल सकेगा कि आखिर जिलानी को कहां से घायलावस्था में उठाकर वाहन से पहुंचाया गया था अस्पताल। घटना के चश्मदीद गवाह बनने के कौन कौन हैं दावेदार।

क्या कर सकती है पुलिस

इस मामले के अनुसंधान में फिलहाल पुलिस फूंक फूंककर कदम उठा रही है। पुलिस ने बघनी और आस पास के गांवों में अपने सूत्र को छोड़ रखा है। पुलिस सूत्र की यह कोशिश है कि सामान्य बातचीत को रिकार्ड किया जाए जिससे हकीकत का पता चल सके। पुलिस इस कोशिश में भी है कि जिलानी की पहले किसी से लड़ाई हुई थी या नहीं। धमकी देने का काम हुआ था या नहीं। वैचारिक विवाद था या नहीं। या फिर मताधिकार को लेकर विभेद तो नहीं था। इन सारे बिदूओं को पुलिस अपने अनुसंधान के वर्क प्लान में डाल चूकी है।

ग्रामीण अड़े हैं अपने आरोप पर

बघनी गांव में घटित घटना के बाद एक बात तो सामने आई है कि ग्रामीणों ने इस मामले में अपनी एकजुटता का परिचय दिया है। अभी तक गांव के लोग यही रट लगा रहे हैं कि पुलिस की गोली से जिलानी की मौत हुई है। सबसे अहम सवाल यह है कि कोई भी ग्रामीण इससे इतर बोलने को तैयार नहीं है। इसका कारण सामाजिक एकता हो या घटना की सच्चाई भी हो। जितने भी राजनीतिक दल के नेता सहानुभूति देने और घटना की हकीकत जानने पहुंच रहे हैं उससे यह साफ जाहिर होता है कि ग्रामीण एक स्वर से नेताओं को यह बता रहे हैं कि जिलानी की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई थी। ग्रामीण अपने बात से टस से मस नहीं हो रहे हैँ। अनुसंधान में शामिल एक पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि घटना पूरी तरह से ब्लाइंड है। हमें घटना की कड़ी जोड़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। इसके लिए सबूत जुटाने पड़ रही है। उस अधिकारी ने कहा कि यदि तबरेज गोली लगने से घायल हुआ तो उसके स्वीकार करने में हमें कोई परेशानी नहीं हुई। जिलानी से हमारी कोई अदावत नहीं थी। हम अगर उसे गोली लगी होती और पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई हुई होती तो आधार बनाकर अनुसंधन करते। पुलिस के जवान व थाना प्रभारी भी घायल हुए हैं। थाना प्रभारी इलाज कराकर सिसई आ चुके हैं। हमें उनका भी बयान लेना है। कुल मिलाकर इस ब्लाइंड केस को लेकर पुलिस और ग्रामीण के दावे अलग अलग रास्ते पर जाते दिखाई पड़ रहे हैं।

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