रासायनिक उर्वकों के प्रचलन से भूमि पर पड़ रहा है कुप्रभाव

कृषि वैज्ञानिक अटल तिवारी ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रचलन से खेती योग्य भूमि पर कुप्रभाव पड़ रहा है। अधिक उत्पादन की चाहत में कृषक रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं । गुरुवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र गुमला विकास भारती बिशुनपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कृषकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व मृदा दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2013 से आरंभ किया गया जो कि भारत सरकार ने इसकी प्राथमिकता को देखते हुए भारत के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 10:20 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 06:21 AM (IST)
रासायनिक उर्वकों के प्रचलन से भूमि पर पड़ रहा है कुप्रभाव
रासायनिक उर्वकों के प्रचलन से भूमि पर पड़ रहा है कुप्रभाव

संवाद सूत्र,बिशुनपुर: कृषि वैज्ञानिक अटल तिवारी ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रचलन से खेती योग्य भूमि पर कुप्रभाव पड़ रहा है। अधिक उत्पादन की चाहत में कृषक रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। गुरुवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र गुमला विकास भारती बिशुनपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कृषकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व मृदा दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2013 से आरंभ किया गया जो कि भारत सरकार ने इसकी प्राथमिकता को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद् मोदी ने इसे अभियान के रूप में लिया । पूरे विश्व के पूर्ण भूभाग का 22फीसद केवल खाद्यान्न उत्पादन  हेतु जमीन की उपलब्धता है । निरंतर रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के उपयोग से पूरे विश्व में लगभग खेती योग्य भाग का 33फीसद भूभाग आज बंजर होने के कगार पर है । इसी भयावह स्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व खाद्य संगठन के द्वारा विश्व मृदा दिवस आयोजन करने के लिए 5 दिसंबर को चुना। रासायनिक उर्वरकों का मानव स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है। जरुरत है अपने खेत की मिट्टी सही तरीके से जांच करने की। विशेषज्ञ अनु राय ने कहा कि जल संरक्षण के द्वारा मृदा संरक्षण के उपायों को अपनाकर मृदा उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है साथ ही साथ जल संरक्षण के विभिन्न विधियों एवं उपायों के विषय में जानकारी दी । मौके पर 103 किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न  गांव  एवं प्रखंडों से 129 कृषक  भाग लिए  जिसमें ठेमा भगत,  जीत राम उरांव, राजू उरांव, सुशील टाना भगत, जीवन भगत, जीवंती देवी, फुलवारी उरांव एवं कृषि विज्ञान केंद्र के  सुनील कुमार  सिंह  आदि मौजूद थे।

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