नप ने बनवाया था एसएसवीएम के बीचोबीच पीसीसी पथ

सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की कथित जमीन पर नगर परिषद ने वर्ष 2015 में मुहल्ला के लोगों को आने जाने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से पीसीसी पथ का निर्माण कराया था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 09:13 PM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 09:13 PM (IST)
नप ने बनवाया था एसएसवीएम के बीचोबीच पीसीसी पथ
नप ने बनवाया था एसएसवीएम के बीचोबीच पीसीसी पथ

जागरण संवाददाता, गुमला : नगर परिषद ने वर्ष 2015 में मुहल्ला के लोगों को आने-जाने की सुविधा के उद्देश्य से सरस्वती शिशु विद्या मंदिर की कथित जमीन पर पीसीसी पथ का निर्माण कराया था। इस पीसीसी पथ को लेकर मुहल्ला की महिलाएं वार्ड सदस्य नूतन रानी के नेतृत्व में 13 अक्टूबर से विद्यालय के गेट पर धरना दिया जा रहा है। लगातार धरना दिए जाने के कारण प्रशासन ने जमीन और पीसीसी पथ की जांच को लेकर गुमला थाना को निर्देश दिया है। गुमला थाना से गुरुवार को मामले की जांच करने के लिए पुलिस पदाधिकारी बिपिन कुमार पहुंचे थे। उन्होंने धरना दे रही महिला से उनका पक्ष जाना। उसके बाद पुलिस पदाधिकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुनील कुमार शर्मा का भी पक्ष सुना। धरना दे रहे वार्ड सदस्य नूतन रानी पुतूल ने पुलिस पदाधिकारी को नगर परिषद से प्राप्त सूचना अधिकार की वह प्रति भी सौंपी, जिसमें नप के कार्यपालक पदाधिकारी ने यह स्वीकार किया है कि पीसीसी पथ आम जनता के लिए बनवाया गया था। इस पथ का निर्माण सड़क परिवहन निधि से कराया गया था। नप के पंजी में पथ निर्माण के समय या उससे पहले किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी। इस सूचना अधिकार से धरना दे रही महिलाओं को आत्मबल मिला और वे अपनी मांग पर डटी हुई है। इतना ही नहीं आंदोलनकारी महिलाओं के उस आरोप में भी दम नजर आ रहा है जिसमें विद्यालय द्वारा पूर्व विधायक स्व.रोपना उरांव की स्मृति में बनाए गए सभागार को सामुदायिक भवन करार दिया गया था। प्रकाश कुमार सिंह नामक व्यक्ति ने इस संबंध में भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से सूचना अधिकार में जानकारी मांगी थी। तीन अगस्त 2019 को भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने प्रकाश कुमार सिंह को सूचना देते हुए बताया कि मुरली बगीचा के पास सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में बना भवन जिला अनावद्ध निधि से तैयार हुआ है। यह एक सामुदायिक भवन है। इस जमीन पर भवन बनाने का काम प्रशासन के निर्देश पर किया गया था। जिसका विरोध या शिकायत किसी ने नहीं किया। 112 फीट गुणा 51 फीट वाला सामुदायिक भवन के निर्माण पर 49 लाख 50 हजार 347 रुपये का खर्च आया है। सामुदायिक भवन का नक्शा नगर परिषद से पास नहीं है। यह नक्शा भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय से पास हुआ है।

कोट

अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से गुमला थाना प्रभारी को पीसीसी पथ के निर्माण, महिलाओं द्वारा दिए जा रहे धरना के आलोक में जांच प्रतिवेदन देने का निर्देश मिला था। थाना प्रभारी ने जांच करने का आदेश दिया है। धरना दे रही महिलाओं द्वारा सूचना अधिकार से प्राप्त प्रतियां मुझे दी गई है। मैं जल्द ही इस सूचना अधिकार के प्रतियों का सत्यापन नप कार्यालय से कराऊंगा और अनुमंडल पदाधिकारी को अपना प्रतिवेदन भेज दूंगा।

बिपिन कुमार, पुलिस पदाधिकारी,गुमला थाना। क्या कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी

मेरे कार्यालय से सूचना अधिकार के तहत सूचना निर्गत की गई है। सड़क मेरे कार्यकाल के पहले बनी थी। सड़क किसकी जमीन पर बनी है यह जांच का विषय है। सड़क बनाते समय विद्यालय प्रबंधन ने विरोध क्यों नहीं दर्ज कराया । इसकी भी जांच हो रही है। यदि विद्यालय प्रबंधन की जमीन है तो उसकी भी जांच होगी। वैसे मेरे स्तर से अंचलाधिकारी को एक रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।

हातिम ताई, कार्यपालक पदाधिकारी नप, गुमला।

chat bot
आपका साथी