प्रकृति से प्रेम करने का पर्व है करमा
गुमला : केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा है कि करमा पर्व आदिवासियो
गुमला : केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा है कि करमा पर्व आदिवासियों के प्रकृति प्रेम के परिचायक हैं। प्रकृति के प्रेमी ही प्रकृति के पूजक होते हैं वहीं प्रकृति की रक्षा करने में समर्थ हैं। सोमवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला में आयोजित करमा मिलन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारे पर्व त्योहार परस्पर प्रेम और संस्कृति समृद्धि के वाहक है। हमें ऐसे पर्वों का आयोजन प्रकृति की रक्षा के उद्देश्य से करना चाहिए। इस अवसर पर राज्य सभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि प्रकृति से ही हमें हर मौसम के अनुकूल ढलने और बदलने की शिक्षा मिलती है। इस अवसर पर पूर्व विधायक कमलेश उरांव, प्रो.जितवाहन बड़ाईक, हरिकिशोर शाही, मुकेश राम आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर करमा गीत के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। आदिवासी छात्रावास समिति द्वारा बख्तर साय मुंडल ¨सह स्मृति भवन में प्रकृति का महा पर्व करमा की पूर्व संध्या पर आयोजित मिलन समारोह को संबोधित करते हुए विधायक चमरा ¨लडा ने कहा कि करमा पर्व आदिवासी सभ्यता संस्कृति के प्रतिक हैं। यह पर्व हमें राष्ट्रीय पहचान दिलाता है। उन्होंने युवाओं से आदिवासी संस्कृति पर हो रहे हमले से सावधान दरहने की अपील की। नशा पान के खिलाफ आह्वान किया। इस कार्यक्रम का आयोजन श्री कृष्णा छात्रावास, एसएस बालक व बालिका छात्रावास, उरांव छात्रावास, महिला छात्रावास, बीएन जालान कालेज छात्रावास्त्र सरना छात्रावास, टोटो स्कूल छात्रावास, सुमति छात्रावास, लुथरेन बालिका छात्रावास, लिबंस छात्रावास आदि के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम संचालन सुनील उरांव, संतोष कुजूर, पूनम कच्छप ने किया। शिवराम कच्छप, देवेन्द्र उरांव, मोहर लाल भगत, पदमन भगत, कमल उरांव, फकीर चंद भगत, जयप्रकाश आदि अतिथि के रूप में मौजूद थे। घाघरा के देवाकी धाम में मंगलवार को करमा पूर्व संध्या का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि विधायक चमरा ¨लडा ने करमा पर्व को भाई बहन का पवित्र पर्व बताया। उन्होंने कहा कि हमें एकजुटता और भाईचारगी का संदेश देता है। इस कार्यक्रम को समीर भगत, बालकिशुन उरांव, हरि उरांव, चन्द्रदेव उरांव, मानेश्वर उरांव, बल्कू उरांव, सतीश भगत, लाल उरांव, संजय उरांव, सुशील उरांव, जितराम उरांव, उर्मिला कश्यप, भीनेश्वर भगत, संजय टाना भगत राजेन्द्र आदि ने संबोधित किया।