सावन में सदियों बाद नहीं गुंजेंगे बोल बम के नारे, घर में होगी पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता गुमला सोमवार को सावन माह की पहली सोमवारी है। कोरोना संक्रमण और लॉक जागरण संवाददाता गुमला सोमवार को सावन माह की पहली सोमवारी है। कोरोना संक्रमण और लॉक जागरण संवाददाता गुमला सोमवार को सावन माह की पहली सोमवारी है। कोरोना संक्रमण और लॉक जागरण संवाददाता गुमला सोमवार को सावन माह की पहली सोमवारी है। कोरोना संक्रमण और लॉक।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 09:40 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 09:40 PM (IST)
सावन में सदियों बाद नहीं गुंजेंगे बोल बम के नारे, घर में होगी पूजा-अर्चना
सावन में सदियों बाद नहीं गुंजेंगे बोल बम के नारे, घर में होगी पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता, गुमला : सोमवार को सावन माह की पहली सोमवारी है। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के मद्देनजर सामूहिक कांवर यात्रा नही निकलेगी। बोल बम के जयघोष सुनाई नहीं पडें़गे। सरकारी निर्देश का अनुपालन करते हुए शिवालय प्रबंधन समितियों ने सामूहिक जलाभिषेक के कार्यक्रम को अपनी इजाजत नहीं दी है। कई मंदिर प्रबंधन समितियों ने कहा है कि मंदिर के पुजारी ही पूजा करेंगे। लेकिन सामूहिक जलाभिषक का कार्यक्रम नहीं होगा और न ही मेला नहीं लगेगा। टांगीनाथ धाम मंदिर परिसर समिति ने मेला नहीं लगाने का निर्णय लिया है। झारखंड सरकार के लॉकडाउन के तहत पूजा पूर्णत: बंद रखने का निर्णय लिया गया है। मुख्य मंदिर में बैगा, पुजार ही पूजा और आरती करेंगे। यह एक ऐसा सुप्रसिद्ध शिव मंदिर है जहां कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार की गाइडलाइन जारी होने से पहले प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालू आते हैं जलाभिषेक करते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार सामूहिक पूजा नहीं होगी। घाघरा के देवाकी धाम मंदिर प्रबंधन समिति ने भी ऐसा ही फैसला किया है। बासुदेव कोना के शिव मंदिर , नगर के बाबा कपिलदेव नाथ मंदिर, पालकोट के बुढ़ा महादेव मंदिर, गुमला के बुढा महादेव मंदिर सहित जिले के तमाम मंदिरों में भी सामूहिक पूजा का कार्यक्रम नहीं होगा। उधर बसिया के महादेव कोना शिव मंदिर प्रबंधन समिति ने अपनी बैठक में कोरोना से संबंधित गाइडलाइन का पालन करने का निर्णय लिया है। सोमवार को पूजा के दौरान एक बार में मात्र चार लोगों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी है। गुमला जिला नागवंशी राजाओं की धर्मधानी रही है। भगवान शिव की पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ होती आई है। लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर यह पहला मौका होगा जब न कांवर यात्रा निकलेगी न सामूहिक जलाभिषक होगा।

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