अल्बर्ट एक्का का गांव आज भी विकास को तरस रहा

जागरण संवाददाता गुमला जिस देश का सपूत देश के लिए शहीद हो गया। उस वीर शहीद का गांव

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:30 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:30 PM (IST)
अल्बर्ट एक्का का गांव आज भी विकास को तरस रहा
अल्बर्ट एक्का का गांव आज भी विकास को तरस रहा

जागरण संवाददाता, गुमला :

जिस देश का सपूत देश के लिए शहीद हो गया। उस वीर शहीद का गांव आज भी विकास के लिए तरस रहा है। शहीद का समाधि स्थल उपेक्षित है, सरकार की घोषणा के करीब पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद शहीद के समाधि स्थल का सौंदर्यीकरण और चहारदीवारी नहीं हो सकी। हालांकि निजी सहयोग से समाधि स्थल पर मार्बल लगाया गया है. शहीद का गांव ही नहीं इस प्रखंड के करीब साठ गांव विकास की राह ताक रहा है। प्रखंड बनने के साथ ही जारी में सोलर आधारित विद्युत आपूर्ति का प्रोजेक्ट बनाया गया। सोलर सिस्टम से विद्युत की आपूर्ति भी आरंभ हुई। जारी में अस्पताल का निर्माण भी किया गया। अस्पताल की दीवार खड़ी हुई लेकिन अस्पताल का निर्माण पूरा नहीं हो पाया। नतीजतन अधूरा अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दर्शा रहा है। प्रखंड के लोग बीमार पड़ने पर इलाज कराने के लिए चैनपुर और गुमला जाते हैं। प्रखंड मुख्यालय परिसर में जलापूर्ति के लिए जल मीनार का निर्माण कराया गया। जल मीनार बने एक दशक हो गया लेकिन उससे एक बूंद पानी की आपूर्ति नहीं हो पायी।

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तीन वर्ष ही रह सकी पति के साथ

बलमदीना की शादी अल्बर्ट एक्का साथ वर्ष 1968 में हुई थी। शादी के बाद वह तीन वर्ष तक ही अपने पति के साथ रह सकी और भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई में अल्बर्ट एक्का शहीद हो गए। जिसके बाद वह अपने बेटे भीमसेंट के सहारे जीने लगी। बलमदीना छत्तीसगढ़ राज्य के जसपुर जिला के किलिग गांव की रहने वाली थी। उसका जन्म 1952 में हुआ था। रिश्तेदारों की पहल से ही उसकी शादी जारी गांव के अल्बर्ट एक्का के साथ हुई थी। वर्तमान में वह चैनपुर में रहती थी।

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