नागपुरी में रामचरित मानस पर टीका की रचना
गुमला : सृजन शीलता के क्षेत्र में गुमला में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। नागपुरी भाषा के सृजन और संवर्द्धन में बड़ाईक ईश्वरी प्रसाद सिंह के सानिध्य में साहित्य सृजन का प्रथम पाठ पढ़ने वाले साहनी उपेन्द्र पाल सिंह नाहन ने नागपुरी में रामचरित मानस पर पुस्तक लिखकर एक नई मिशाल पेश की है। श्री नाहन आरंभ में छोटी-छोटी कविताओं और लघु काव्य संग्रह के माध्यम से नागपुरी साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। श्री नाहन बनाते हैं कि रामचरित मानस का उन्होंने सांगोपांग अध्ययन किया। उसके मर्म को समझा। समझे गए मर्म को उन्होंने स्थानीय भाषा में ढाला। उनका कहना है कि राम चरित्र मानस न सिर्फ हिंदू ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की शैली है, संस्कृति भी है। नागपुरी क्षेत्र में पारिवारिक और सामाजिक बिखराव को रोकने के लिए रामचरित मानस का स्थानीय भाषा में अनुवाद करते हुए उसकी मौलिकता को बरकरार रखने की उन्होंने कोशिश की है। ऐसे तो पूर्व में भी रामायण पर आधारित गीत, कविता और कहानियों का सृजन हुआ था, लेकिन संपूर्ण रामचरित मानस को नागपुरी भाषा में टीका का रूप देने की उन्होंने कोशिश की है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने की प्रेरणा उन्हें घासी राम की नागपुरी लोक गीत को सुनने के बाद मिली। 17 साल की अथक मेहनत, अध्ययन और मिले विचारों और सुझावों के आधार पर इस काम को अंजाम दिया है। 1995 के रामनवमी के दिन से नागपुरी भाषा में रामचरित मानस पर टीका लिखना आरंभ किया था। 17 साल के अथक प्रयास के बाद उन्हें इस टीका को पूर्ण करने और प्रकाशित कराने में कामयाब मिल पाई है। श्री नारायण दास बैरागी ने श्री नाहन की रचना का प्रकाशन कराने का काम किया है।
लोकार्पण कल
गुमला : नागपुरी साहित्य साहनी उपेन्द्र पाल सिंह नाहन द्वारा रचित श्री रामचरित मानस की नागपुरी टिका का लोकार्पण 28 फरवरी को पांच बजे स्थानीय नगर भवन में उपायुक्त राहुल शर्मा करेंगे। यह जानकारी प्रकाशक नारायण दास वैरागी ने दी। इस अवसर पर प्रशासनिक पदाधिकारी, न्यायिक पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी सहित साहित्यकार एवं शहर के गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया जाएगा।
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