27 एकड़ भूमि में 31 किसानों ने की तरबूज की खेती, पूंजी तक डूब गई

संवाद सूत्र बसिया(गुमला) बसिया प्रखंड के रामजड़ी लुंगटुलोंगाकोनबीर केदली गांव में कुल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 07:55 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 07:55 PM (IST)
27 एकड़ भूमि में 31 किसानों ने की तरबूज की खेती, पूंजी तक डूब गई
27 एकड़ भूमि में 31 किसानों ने की तरबूज की खेती, पूंजी तक डूब गई

संवाद सूत्र, बसिया(गुमला): बसिया प्रखंड के रामजड़ी लुंगटु,लोंगा,कोनबीर, केदली गांव में कुल 31 किसानों ने 27 एकड़ भूमि में तरबूज की खेती की। इसमें कुल 2.50 लाख रुपया पूंजी लगाई। किसानों ने 13.50 लाख रुपया लाभ कमाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन लाकडाउन के कारण तरबूज को बाजार नहीं मिला और तरबूज की कीमत जमीन पर आ गई। किसानों ने कर्ज लेकर तरबूज की फसल लगाई थी लेकिन पूंजी भी डूब गई। तरबूज यदि 7 से 10 रुपया किलो बिकता तो लाभ होता लेकिन अभी दो रुपया किलो भी नहीं मिल रहा है। थोक व्यापारी बाहर से आ नहीं रहे हैं। स्थानीय बाजार में खपत नहीं है। मजदूरी तक नहीं निकलती। किसानों ने महिला विकास मंडल से ऋण लेकर तरबूज की खेती की थी।

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इन किसानों ने की थी खेती

रामजड़ी गांव के किसान चंपू उरांईन, फुलमनी उरांईन, प्रतिमा देवी, लक्ष्मी देवी ने मिलकर 10 एकड़ में, केदली गांव के एलिजाबेथ टोपनो, बसंती टोपनो ने मिलकर 4 एकड़ में, कोनबीर गांव में पुष्पा देवी, कमली देवी, सुमंती देवी, खुशबू मिज, अन्ना रोजलिया मिज ने 6 एकड़ में, लोंगा गांव में बिन्नी मिज 3 एकड़ में तरबूज का खेती की है।

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पिछले वर्ष लॉकडाउन में घर आये और सभी परिवार मिलकर खेती करना प्रारम्भ किया। तरबूज की फसल तो अच्छी हुई लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण बाजार नहीं मिल रहा है।

कल्याण टोपनो, किसान महिला विकास मंडल से ऋण लेकर तरबूज का खेती किये हैं। लॉकडाउन के कारण तरबूज को बाजार नहीं मिला। काफी नुकसान हो रहा है। स्थानीय बाजार में खपत नहीं है। बाहर से व्यपारी नहीं आ रहे हैं।

चंपू उराइन-महिला किसान।

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