महिलाओं ने 50 तालाब खोदकर दिलाया जल संकट से निजात

परमानंद मिश्र / संवाद सहयोगी पोड़ैयाहाट नारी जब संकल्पित होकर कार्य स्वरूप को पूज

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:22 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 07:22 PM (IST)
महिलाओं ने 50 तालाब खोदकर दिलाया जल संकट से निजात
महिलाओं ने 50 तालाब खोदकर दिलाया जल संकट से निजात

परमानंद मिश्र / संवाद सहयोगी,

पोड़ैयाहाट : नारी जब संकल्पित होकर कार्य स्वरूप को पूजा के रूप में ढाल लेती है तो उसके प्रतिफल में देवता ही वास करते हैं। पोड़ैयाहाट प्रखंड के चरकाटांड़ गांव की महिलाओं की इरादे तो इसी बात की गवाही देती है। महिला मंडल के सदस्यों ने जब कुदाल लेकर अपने इरादे मजबूत कर लिया तो खुद चारों ओर वरुण देवता का वास होने लगा। गांव में एक सुखद अनुभूति सी हो गई। महिलाओं ने इस कहावत को भी चरितार्थ की है कि खुद पर भरोसा करने वालों पर ईश्वर भी मेहरबान होते हैं। पोड़ैयाहाट प्रखंड के चरकाटांड़ के ग्रामीण महिलाओं ने जल संकट से निजात पाकर एक मिसाल पेश की है। विशेष स्वर्ण जयंती रोजगार योजना के तहत 2013 में गांव में कुल 50 तालाब खोदे गए जिसमें 27 छोटा तालाब और 23 सीपेज टैंक बनाकर यहां के ग्रामीणों ने प्रखंड के अन्य गांवों को प्रेरणा दी। इसमें अधिकांश महिला समूहों ने ही अहम भूमिका निभाई।

इतना ही नहीं 25 एकड़ में बागवानी भी शुरू कर दी। अब इन पौधों पर फल भी लगने लगे हैं। अब भीषण गर्मी में भी इस गांव में जल संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। चरकाटांड़ के किसान भुवनेश्वर सिंह बताते हैं कि पहले गर्मी के दस्तक के साथ ही कुएं सूख जाते थे। लेकिन अब जब से पोखर की खुदाई हुई है। तब से कुआं का जल स्तर में भी सुधार हुआ है। बारिश नहीं होने से पहले धान की फसल सूख जाती थी अब अमूमन ऐसा नहीं होता है। इतना ही नहीं पोखर के कारण रबी फसल भी अच्छी हो जाती है। और मछली पालन और बतख पालन से भी लोगों को कुछ आमदनी हो जाता है।

2009 में हुई थी योजना की शुरुआत कहा जाता है कि अग्र सोची सदा सुखी।2009 में ग्रामीण महिलाओं ने जल संकट से निजात पाने के के लिए कुछ ऐसा ही किया। एकता महिला विकास संघ के टोला सभा के अध्यक्ष सावित्री देवी के अगुवाई में मां दुर्गा महिला मंडल की राशि देवी, सरस्वती महिला मंडल की जीरा देवी, लक्ष्मी महिला मंडल की टुनिया देवी, माता महिला मंडल की आशा देवी, पार्वती महिला मंडल की गेंदा देवी को संस्था की ओर से जब प्रशिक्षण देकर जल संचय की उपयोगिता के विषय में बताया गया तो उन्होंने गांव आकर पूरी महिलाओं की बैठक की और फिर क्या था। घर घर से कुदाल निकलना शुरू हुआ और देखते ही देखते 50 पोखर खोद डाले गए। चरकाटांड़ से शुरू हुई यह मुहिम प्रखंड के तालझरनी, बाघमुंडा, केलाबाड़ी, हरला, राणाबांध, सिकटिया सहित तो दर्जनों गांव में फैल गए। तालझरनी गांव में भी 37 पोखर खोदा गया तथा तीन एकड़ में आम की बागवानी की गई। देखते ही देखते 2013 तक 149 पोखर और 135 सीपेज टैंक का निर्माण ग्रामीणों ने अपनी मेहनत के दम पर किया। नतीजन अब हल्की बारिश के बाद भी फसल सूखने की चिता ग्रामीणों को नहीं रहती। कुछ ऐसे सीपेज टेंक हैं जो बिना मशीन के ही दूसरे खेतों में पानी ले जाया जाता है। आज यहां के ग्रामीण पानी के मामले में बहुत मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता और अपनी मेहनत से खुश हैं।

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