बसंतराय में निर्जला उपवास पर जलमीनारें

संवाद सहयोगी बसंतराय ( गोड्डा) गोड्डा जिले के बसंतराय प्रखंड। ग्रामीण सालभर जलसंकट से ज

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:56 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:56 PM (IST)
बसंतराय में निर्जला उपवास पर जलमीनारें
बसंतराय में निर्जला उपवास पर जलमीनारें

संवाद सहयोगी, बसंतराय ( गोड्डा) : गोड्डा जिले के बसंतराय प्रखंड। ग्रामीण सालभर जलसंकट से जूझते रहते हैं, मगर विधायक निधि से निर्मित सोलर जलमीनारे बेकार हैं। एक- दो नहीं, इस प्रखंड की 14 पंचायत का यही हाल है। यहां की जलमीनारें कई महीनों से निर्जला उपवास पर हैं और दर्जनों गांव के लोग पानी की तलाश में भटक रहे हैं। हां, शुरुआत में दो-तीन दिन इससे जलापूर्ति जरूर हुई थी। एक मीनार बनाने में करीब चार लाख रुपये खर्च हुए थे। इस तरह विभागीय उदासीनता से 56 लाख रुपये से अधिक बर्बाद हो गए। अब कहीं बोरिग फेल है तो कही मोटर खराब। कहीं-कहीं सोलर सिस्टम ने ही दम तोड़ दिया। निर्माण में कमीशनखोरी का भी आरोप लग रहा है। अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौन हैं। पहल की कौन कहे, इस पर कोई बोलने वाला भी नहीं हैं।

ग्रामीणों की मानें तो गोड्डा विधायक की अनुशंसा पर पिछले साल ही जलमीनारें बनी थी। प्रत्येक की लागत चार लाख से अधिक थी, लेकिन इनसे चार दिन भी ठीक से पानी नहीं मिल पाया। इसकी शिकायत ग्रामीण कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि शुद्ध पेयजल के लिए यह बेहतर साधन था। विभागीय अधिकारी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं। जनप्रतिनिधि को भी कोई मतलब नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनार की राशि ठेकेदार और विभाग के कुछ अधिकारियों ने आपस में बंदरबांट कर लिए हैं। इसके कारण निर्माण सामग्री यहां घटिया लगाई गई है। हर जगह कुछ न कुछ गड़बड़ी है। पाइप लाइन की भी समस्या है। पुराने चापाकलों में जलमीनार का कनेक्शन देने से अब का भी लाभ लाभ नहीं मिल रहा है।

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मुखिया ने भी नहीं की पहल

पंचायत स्तर पर मुखिया पर जलमीनारों के रखरखाव की जिम्मेदारी थी, लेकिन वह भी नहीं हो रहा है। योजना स्थल पर कहीं बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। जलमीनार निर्माण के दौरान भी कई ग्रामीणों ने सवाल उठाया था, लेकिन उनकी बातों की तब अनदेखी कर दी गई। अधिकतर पंचायतों में जलमीनार के बगल में सोख्ता का निर्माण भी नहीं किया गया है। पानी टंकी लगाई गई है वह बिना किसी सपोर्ट की है। इससे टंकी के गिरने की आशंका बना रहती है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

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