गंगाजल को तरसती बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना

गोड्डा जिले के मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड के किसानों को सिचाई सुविधा उपलब्ध कराने के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 06:36 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 06:36 PM (IST)
गंगाजल को तरसती बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना
गंगाजल को तरसती बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना

गोड्डा जिले के मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड के किसानों को सिचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1977 में शुरू की गई बटेश्वर गंगा पंप नहर योजना का काम छह दशक बाद भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है। परिणाम स्वरूप किसानों को इससे किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस कारण किसानों की उम्मीद अब टूटने लगी है। इसमें उत्तरवाहिनी गंगा कहलगांव, भागलपुर (बिहार) से कैनाल बनाकर गंगा का पानी लाना था। यह कैनाल मेहरमा व ठाकुरगंगटी प्रखंड होते हुए पुन: कहलगांव क्षेत्र में लाकर समाप्त होती है। इस योजना में करोड़ों खर्च के बाद भी अबतक एक बूंद भी गंगाजल लोगों को नहीं मिला। हालांकि सीमावर्ती क्षेत्र के ईसीपुर, भागलपुर, बिहार क्षेत्र में अभी भी जहां-तहां कार्य जारी है। परंतु इसके दर्जनों ब्रिज अब भी अधूरे पड़े हुए हैं।

यह बताने वाला भी कोई नहीं है कि यह योजना कब पूरी होगी। जानकारी के अनुसार वर्ष 1977 में एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद जो मेहरमा प्रखंड के कसवा गांव के रहने वाले थे, ने इस महत्वकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखी थी। वर्ष 1981 में किसानों को जमीन का मुआवजा भी मिल गया। इसके बाद जहां-तहां खुदाई का काम शुरू हुआ लेकिन बाद में काम मृतप्राय हो गया। इसी बीच वर्ष 2019 में निशिकांत दुबे गुड्डा लोकसभा से सांसद बने। बिहार सरकार के सहयोग से योजना को फिर से गति प्रदान की गई। उन्होंने अपने पूर्व की घोषणा व पुरानी योजना को जीवित करने का काम शुरू किया। वर्ष 2012 में उनकी पहल पर उत्तरवाहिनी गंगा कहलगांव से मेहरमा ठाकुरगंगटी होते हुए पुन: कहलगांव तक करीब 29 किलोमीटर योजना की स्वीकृति प्रदान कराई गई। वित्तीय वर्ष 2012-13 में हरदेव कंस्ट्रक्शन ने करीब 29 किलोमीटर लंबी बटेश्वर गंगा पंप नहर की खुदाई करीब 48 करोड की लागत से प्रारंभ की। वैसे बाद में यह योजना कुल 93 करोड़ की हो गई है। बताया जाता है कि अलग से इसमें तीन करोड़ रुपये की लागत से 24 ब्रिज भी बनना है। जो कई जगह आधा अधूरा पड़ा हुआ है।मेहरमा-ईशीपुर के बीच एनएच133 में प्रफुल्लो हाट के समीप,पहाड़खंड के समीप,मेहरमा-ललमटिया मुख्य मार्ग मे घोरीचक के समीप,मेहरमा-बलबडडा मुख्य मार्ग में घोरीकित्ता के समीप,मेहरमा-ठाकुरगंगटी के बीच खानीचक के समीप अबतक ब्रिज निर्माण का कार्य शुरू भी नहीं किया जा सका है। मेहरमा-पिरोजपुर बायपास मार्ग में शंकरपुर के समीप तथा मेहरमा-भगैया मुख्य मार्ग में धमडी के समीप ब्रिज निर्माण का कार्य आधा-अधूरा पड़ा है। इससे वाहन चालकों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।वहीं नहर का कार्य पूरा नही होने के कारण किसानों को सिचाई सुविधा का लाभ नही मिल पा रहा है। सिचाई के लिए किसानों को वर्षा पर आश्रित रहना पड़ता है। अब तो लोग यह कहने लगे हैं, कि यह योजना किसानों को नहीं सिर्फ ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई थी। योजना में करीब साढे चार हजार एकड़ भूमि की सिचाई का लक्ष्य था। लेकिन साढे चार एकड़ भूमि भी सिचित नहीं हुई। जानकारी के अनुसार योजना के तहत केवल कैनाल बनाना है। किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर भविष्य में कैनाल में गंगा का पानी आ भी जाता है तो सिचाई के लिए किसानों को मोटर या दमकल का प्रयोग करना पड़ेगा। क्षेत्र के किसानों,बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बटेश्वर गंगा पंप नहर योजना को अविलंब पूरा कराने की मांग की है।

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