बेमौसम बारिश से गरमा फसलों में बहार, लेकिन बाजार में कोरोना की मार

बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवातीय परिसंचरण के कारण संताल परगना और आसपास के क्षेत्रों में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 05:28 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 05:28 PM (IST)
बेमौसम बारिश से गरमा फसलों में बहार, लेकिन बाजार में कोरोना की मार
बेमौसम बारिश से गरमा फसलों में बहार, लेकिन बाजार में कोरोना की मार

बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवातीय परिसंचरण के कारण संताल परगना और आसपास के क्षेत्रों में बीते एक एक सप्ताह से छिटपुट बारिश हो रही है। हालांकि बारिश के साथ साथ आंधी और मेघ गर्जन तबाही लेकर भी आ रहा है लेकिन इन दिनों हल्की बारिश होने से किसानों की गरमा फसल अच्छी हो गई है। बारिश होने से किसानों की फसलों में बहार आई है। पैदावार भी बेहतर हो रहा है। सब्जी की पैदावार बढ़ी है। लेकिन इसे लेकर किसान जब बाजार आते हैं तो उन्हें निराश और दु:खी होना पड़ता है क्योंकि बाजार में खरीददारों की संख्या इतना कम होती जा रही है कि उन्हें औने पौने दाम में सब्जी बेचनी पड़ती है। जिले के सब्जी उत्पादक गांव सरौनी, नुनबट्टा, नेमातरी, सिमड़ तरी, लक्ष्मी, गांधीग्राम, लुकलुकी, गायछंद, कुर्मीचक, चनायचक, रजौन, हिलावै, वादे, मांजर, रतनपुर, घनश्यामपुर, लता, द्रोपद, भटौंधा, हरियारी, बसंतपुर सहित दर्जनाधिक गांवों में इन दिनों गरमा सब्जी की खेती काफी मात्रा में हुई है लेकिन बाजार नहीं होने के कारण किसानों का खस्ता हाल है। लॉकडाउन के कारण बाहर के व्यापारी गांव तक नहीं पहुंच रहे हैं। परिवहन की छूट के बावजूद भी व्यापारी गांव जाकर खरीददारी में परहेज कर रहे हैं। लाचार किसान जब सब्जियों को लेकर निकट के बाजार में पहुंचते हैं तो थोक विक्रेता नहीं रहने के कारण किसान को दिनभर बैठकर सब्जी बेचने को विवश होना पड़ता है। बाजार की स्थिति यह है कि पांच से दस रुपया में लौकी बिक रही है। अन्य सब्जियों का भी वही हाल है।

जिला मुख्यालय के मेला मैदान में सुबह सुबह सब्जी की दुकान लगाने वाले किसान सुबोध मंडल ने बताया कि लॉकडाउन के कारण बाहर की मंडियों में सब्जी का निर्यात नहीं हो रहा है। स्थानीय बाजार में खरीददारों का टोटा है। सदर प्रखंड के नुनबट्टा के किसान मनोज कुमार बताते हैं कि 7-10 किमी दूर से साइकिल पर लौकी लादकर गोड्डा बाजार में बेचते हैं, लेकिन दाम नहीं मिलता है। वहीं अन्य किसान प्रमोद साह का कहना है कि

सब्जी बेचने में काफी परेशानी होती है। जिस हिसाब से सब्जी का उत्पादन हो रहा है। उस हिसाब से बाजार में खरीददार नहीं है। गत वर्ष की तुलना में एक चौथाई पैसा भी नहीं मिल रहा है। बीज, खाद सब महंगा है। इस वर्ष काफी निराश हैं।

सब्जी विक्रेता चुन्नू यादव बताते हैं कि आसपास के सैकड़ों किसान सब्जी उत्पादन करते हैं । पहले गांव में ही व्यापारी जाकर पैदावार खरीद लेते थे। अब वैसा बाजार नहीं है। बाजार में सुबह से दोपहर तक सब्जी बेचकर गांव लौटने की भी जल्दबाजी रहती हे। इस कारण औनेपौने भाव में ही सब्जी बेच दी जाती है।

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सब्जी का मूल्य :

लौकी : पांच से दस रुपए प्रति पीस

करेला : 20 से 30 रुपए प्रति किलो

कटहल : 10 से 15 रुपए प्रति किलो

खीरा : 10 से 20 रुपए प्रति किलो

भिडी : 20 से 30 रुपए प्रति किलो

हरी मिर्च : 40 रुपए प्रति किलो

सहजन : 30 से 40 रुपए प्रति किलो

बैंगन : 20 से 30 रुपए प्रति किलो

टमाटर : 20 से 25 रुपए प्रति किलो

परोल : 20 से 30 रुपए प्रति किलो

झींगा : 25 से 30 रुपए प्रति किलो

प्याज : 20 से 25 रुपए प्रति किलो

आलू - 12 से 15 रुपये प्रति किलो ------------

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