राजकचहरी सरोवर से दुर्लभ प्रजाति की सकरमाउथ कैटफिश बरामद
संस गोड्डा शहर के वार्ड नंबर दो स्थित राजकचहरी सरोवर शिवपुर-रौतारा से दुलर्भ प्रजा
संस गोड्डा: शहर के वार्ड नंबर दो स्थित राजकचहरी सरोवर शिवपुर-रौतारा से दुलर्भ प्रजाति की सकरमाउथ कैटफिश मिली है जो अमूनन इस जलवायु में नहीं पाया जाता है। यह समुद्री प्रजाति की मछली है। जानकार इसे इको सिस्टम के लिए हानिकारक बता रहे हैं। किस तरह से इस तालाब में मछली आई, इसका पता भी सही तरीके से नहीं चल पा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि मछली जीरा के साथ यह आ गई होगी। इस बाबत रौतारा चौक के अमित ठाकुर झम्मन ने बताया कि तालाब में अजीब किस्म की मछली देखी। जिसे कभी देखा ही नहीं था। मछली को किसी तरह पकड़ कर घर लेकर आ गए। इसके आकार के संबंध में बताया कि मछली का मुंह नीचे की तरफ है, और चमड़ी काफी सख्त है। साधारण मछली से अलग है।। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ सतीश का कहना है कि यह सकरमाउथ कैट़िफश है। जो मछली साउथ अमेरिका के अमेजन जलवायु में पाई जाती है और वहीं की प्रजाति भी है। भारत के नॉर्थईस्ट इलाकों व केरला के कुछ हिस्से में भी यह मछली मिलती है। खूबसूरत होने की वजह से लोग एक्यूरियम में इस मछली को रखते हैं। मछली कैसे तालाब में आई । यह समझ से परे है। हो सकता है किसी के एक्यूरियम से यहां पहुंची हो। बहरहाल यह मछली काफी खतरनाक है और इसे लोगों को खाने से मना किया है। साथ ही यह भी बताया कि यह मछली तालाब में अन्य मछलियों और जीव,जंतुओं को मार देती है। मांसाहारी प्रजाति की मछली होती है। जिसकी वजह से यह इकोसिस्टम के लिए भी हानिकारक है। डॉ सतीश ने बताया कि यह मछली इस तालाब में मिली है तो हो सकता है आसपास के तालाबों में भी हो।इसलिए आसपास के तालाबों को छान लेना चाहिए ।जिससे अगर किसी भी तालाब में सकरमाउथ कैटफिश मिलती है तो उसे निकाला जा सके नहीं तो इससे नुकसान हो सकता है।