पौधारोपण कर 700 परिवार बनेंगे आत्मनिर्भर
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संवाद सहयोगी, पोड़ैयाहाट: गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट, सुंदरपहाड़ी , गोड्डा प्रखंडों में 500 हेक्टेयर के बंजर भूमि में 7 लाख पौधे लगाने की तैयारी अंतिम चरण में है। पौधे लगाने को लेकर नर्सरी में पौधा तैयार हो रहा है। जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह से पौधारोपण किया जाएगा। पौधारोपण के लिए तकरीबन 5 हेक्टेयर जमीन का को भी चिन्हित कर लिया गया है। ग्राम बागवानी समिति बनाकर जमीन पर गड्ढे की खुदाई भी हो रही है।चिन्हित जमीन की चारों और ट्रेंटाई का काम चल रहा है। मौनसून के प्रभावशाली होते ही 2 जुलाई से पौधारोपण शुरू कर दिया जाएगा।
इतने बड़े भाव भूभाग में इतने 7 लाख पौधे से ना सिर्फ वातावरण को ऑक्सीजन मिलेगा बल्कि 700 परिवारों के पेट को भी ऑक्सीजन देने की योजना है। अर्थात 700 परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की योजना है।प्रत्येक परिवार को कम से कम प्रतिवर्ष 40 से 50 हजार की आय का अनुमान है। इस कार्य में ग्रामीण काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
निगरानी को लेकर समिति का किया गया है गठन : योजना को जमीन पर मूर्त रूप देने के लिए प्रत्येक गांव में तसर बागवानी समिति का गठन किया गया है। उसकी निगरानी और देखभाल की जिम्मेदारी समिति ने ली है तब कहीं जाकर इस योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। निगरानी समिति में ज्यादातर महिलाएं हैं।
इन गांवों : पोड़ैयाहाट प्रखंड के मतकुपी, कैराबाड़ी, पिण्डराहाट,घंघराबांध, सुंदरपहाड़ी प्रखंड के बारिशटांड़,शाहखुट, कल्हाजोर आदि गांवों का चयन किया गया है वहीं गोड्डा प्रखंड के पिपरजोरिया वह अमरपुर आदि गांव का चयन किया गया है।पीपरजोरिया गांव में 400 बीघा जमीन पर पौधारोपण हो रहा है जहां मांझी टांडी तस्कर बागवानी समिति ने 400 बीघा जमीन के पौधारोपण की देखभाल की जिम्मेदारी उठाया है।
क्या कहती हैं समिति से जुड़ी महिलाएं :
कारीकादर गांव में गठित तसर बागवानी समिति के अध्यक्ष अनीता देवी ने बताया कि आसपास के गांव के लोग तसर पालन करके अच्छी आय कर रहे हैं उसी को देखकर हम लोग भी अब आगे बढ़ रहे हैं। गांव में गरीबी के कारण काफी लोग बाहर कमाने चले जाते हैं।कोरोना के लॉकडाउन में अपनी गलती का एहसास हुआ है। चार पांच गांव के ग्रामीणों ने अलग-अलग बैठक करके अपनी बंजर भूमि पर तस्कर कीट पालन के लिए गत वर्ष पौधारोपण किया है। पौधा काफी बड़ा हो गया है। 2 -3 साल के बाद इस पर तसर लगने लगेंगे वहीं बांझी गांव के बाहा किस्कू और मोनिका टुडू ने कहा कि उनलोगों के पास बंजर भूमि रहने के कारण दूसरे के यहां मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। पुरुष बाहर कमाने चला जाता है जिससे काफी परेशानी होती है।अब अपनी जमीन पर अर्जुन और आसन का पौधा लगाकर तस्कर के कीट पालन करने का निर्णय से अच्छी आय प्राप्त होगी क्योंकि आस-पास के गांव में बरसों से यह कार्य किया जा रहा है।
क्या कहते हैं प्रखंड समन्वयक: प्रखंड समन्वयक उत्तम कुमार एवं संजय कुमार ने बताया कि ग्रामीणों ने खुद उन लोगों से संपर्क किया। ग्रामीणों के तस्कर पालन में दिलचस्पी जताने के बाद संस्था ने काम शुरू किया है। इसमें अर्जुन व आसन के पौधे के साथ-साथ बीच की भूमि पर इंटरक्रॉपिग यानी छोटे फसल जैसे तील, कुर्थी,बोड़ा आदि लगाने की योजना है। पौधों की सुरक्षा के लिए कैटल प्रूफ ट्रेंच की खुदाई हो रही है और सुरक्षा प्रहरी भी रहेंगे। किसानों को ट्रेनिग देकर किट पालन कराया जाएगा।