ईश्वर के समक्ष कुछ मांगने की जरूरत नहीं : गोविदशरण

संवाद सहयोगी गोड्डा सदर प्रखंड के दुवराजपुर गांव में आयोजित श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान यज्ञ श

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 08:14 PM (IST)
ईश्वर के समक्ष कुछ मांगने की  जरूरत नहीं : गोविदशरण
ईश्वर के समक्ष कुछ मांगने की जरूरत नहीं : गोविदशरण

संवाद सहयोगी, गोड्डा : सदर प्रखंड के दुवराजपुर गांव में आयोजित श्रीमछ्वागवत कथा ज्ञान यज्ञ शुक्रवार की देर शाम हवन व महाप्रसाद वितरण के साथ संपन्न हो गया। कथा के अंतिम दिन कथा वाचक गोविद शरण ने श्रीकृष्ण- सुदामा चरित पर प्रकाश डाला। इस मार्मिक प्रसंग को सुनाकर उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान के लिए भक्तों को हित सर्वोपरि है। भक्तों के स्वाभिमान की रक्षा की खातिर अपना मान भी भूल जाते हैं। वे अपने भक्तों की हर बात को भलीभांति समझते हैं और उनका समय आने पर कल्याण करते हैं। इसलिए ठाकुर के समक्ष कुछ मांगने की जरुरत नहीं है। जीव को इस धरा धाम में अपने कर्मों का भोग भोगना ही पड़ता है। कहा कि सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा थे। ऋषि संदिपनी के आश्रम में दोनों ने बाल्यावस्था में शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा ग्रहण के पश्चात दोनों अपने गृहस्थ जीवन व्यतीत करने लगे। ठाकुर द्वारिकधीश हुए और अनन्य मित्र सुदामा अत्यंत दरिद्र ब्राह्मण। एक महलों में रहते हैं तो दूसरे को खाना भी नसीब नहीं है। कहा कि सुदामा के दिल में ठाकुर के चरणों के प्रति असीम अनुराग था। वे सदा श्री-कृष्णा का जप करते रहते थे। वे इतना स्वाभिमानी थे कि यह जानते हुए भी कि उनके बाल सखा द्वारिकाधीश हैं बावजूद उन्होंने कभी हाथ पसारे की कोशिश नहीं की। पत्नी के जिद करने व ठाकुर के दर्शन को लेकर वे अंतत: द्वारिका रवाना हो गये। वहां पहुचंने पर ठाकुर ने ऐसी खातिर की कि यह एक इतिहास बन गया। सुदामा द्वारा साथ ले गये चावल के दाने को खाकर सर्वश्व न्यौछावर करने जा रहे थे कि रुकमिनी ने रोक दिया। इस दौरान पारंपरिक गीतों को संगीत में पिरोकर की प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं को भक्ति सागर में झूमने को विवश कर दिया। यजमान के रूप में दीपक कुमार झा व पिकी कुमारी ने सराहनीय भूमिका निभाई।

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