भोड़ा बराज सूखने से क्षेत्र में गहराया पेयजल संकट

संवाद सहयोगी ठाकुरगंगटी बीते वर्ष अक्टूबर माह के बाद से ही वर्षा नहीं होने के कारण्

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:22 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:22 PM (IST)
भोड़ा बराज सूखने से क्षेत्र में गहराया पेयजल संकट
भोड़ा बराज सूखने से क्षेत्र में गहराया पेयजल संकट

संवाद सहयोगी, ठाकुरगंगटी : बीते वर्ष अक्टूबर माह के बाद से ही वर्षा नहीं होने के कारण ठाकुरगंगटी प्रखंड क्षेत्र के साथ-साथ निकटवर्ती इलाके का जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे प्रखंड वासियों के साथ-साथ निकटवर्ती निवासियों को पीने के पानी की काफी कठिनाई हो रही है । अधिकांश चापानल जवाब दे चुके हैं । हालांकि क्षेत्रीय विधायक दीपिका पांडेय सिंह के प्रयास से कई पंचायतों के चापानलों की मरम्मत कराई गई है लेकिन जलस्तर नीचे जा चुका है। साथ ही साथ काफी मात्रा में पेयजल कूप भी जवाब दे चुके हैं। अधिकांश तालाब भी सूख चुका है । सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह है। इस क्षेत्र में सिचाई व पानी के लिए सबसे अधिक उपयोगी माना जाने वाला भोड़ा बराज का सूखना है। भोला बराज से निकलने वाली कोवा नदी, खर्रा नदी , झमरिया नदी, पोस्तीया नदी, डगरिया बाबा नदी, राज बांध, मंझकोला नदी, ढोलिया नदी, तथा बोड़ा बराज से निकलने वाला सभी नहर भी सूख चुकी है। मनुष्य के साथ-साथ पशु पक्षियों को भी पेयजल के साथ-साथ स्नान करने आदि में भारी परेशानी हो रही है। ऐसा अंदाज लगाया जा रहा है कि अगर आने वाले एक महीने के अंदर अगर वर्षा नहीं होती है तो कई प्रकार के पक्षी पानी के बगैर तड़प कर दम तोड़ सकते हैं। वहीं मवेशियों को स्नान कराने और पानी पिलाने में भी पशुपालकों को घोर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस प्रखंड क्षेत्र में कुछ बच गया है तो वह है मनरेगा योजना से खुदाई कराया गया सिचाई कूप और डोभा क्योंकि किसानों द्वारा डोभा और सिचाई कूप का निर्माण अपनी जमीन में कराया गया है। जिसके चलते की मछली या अन्य किसी लालच में किसान नहीं पढ़े और सिचाई कूप और डोभा में पानी को बचा कर रखा। मनरेगा से बने लगभग सभी सिचाई कूप में अभी तक पानी है। क्योंकि इस प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा के कर्मियों, अधिकारियों , प्रखंड प्रशासन के साथ-साथ जिले के कई अधिकारियों द्वारा कड़ी निगरानी में मनरेगा योजना से संबंधित काम कराई जाती है । जिसके चलते की आज लगभग सिचाई कूप में पानी मौजूद है । अगर बीते सितंबर, अक्टूबर के बाढ़ और वर्षा का पानी भोड़ा बराज और नदी के पानी को कुछ मात्रा में भी सरकार द्वारा किसी योजना के माध्यम से उस समय रोककर स्टॉक कर लिया जाता तो शायद अभी बहुत काम आता । इस प्रखंड क्षेत्र में पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता रहती और सभी प्रकार का उत्पादन होता । उत्पादन के लिए किसी सरकारी योजना को धरातल पर उतार कर बरसात के दिनों में नदी और भोड़ा बराज के पानी को रोक कर रखना पड़ेगा । नदी और नहर में पानी नहीं रहने के कारण इस बार कई प्रकार की साग सब्जियों, मकई आदि की खेती में काफी गिरावट आई है। जिसके चलते की किसानों की स्थिति में भी गिरावट आ गई है और किसान रात दिन चितित हैं।

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