जांच के बाद भी किसानों को नहीं मिला क्षतिपूर्ति पौधा
बसंतराय एक वर्ष पूर्व बड़े ही उम्मीद व हसरत के साथ सरकार ने बिरसा हरित क
संवाद सहयोगी, बसंतराय : एक वर्ष पूर्व बड़े ही उम्मीद व हसरत के साथ सरकार ने बिरसा हरित क्रांति ग्राम योजना के तहत बगीचा लगाने की योजना शुरू की थी। किसानों ने भरोसा कर अपनी खेती योग्य भूमि पर आम के पौधे लगाने को लेकर जमीन तैयार की और सुनहरे ख्वाब का सपना देखा लेकिन कुछ दिनों में किसानों के दिल के अरमान आंसू में बह गए। ख्वाब बिखर गए और फिर किसान सिर्फ आंसू बहाते रह गए।
क्या थी योजना : एक वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने बिरसा हरित क्रांति योजना के तहत बगीचे के लिए मनरेगा से मोटी रकम खर्च की थी। प्रति एकड़ जमीन में 120 पौधे लगाने पर मेठ को करीब चार लाख रुपये की योजना दी गई थी। इसमें पौधे की आपूर्ति बंगाल और गिरिडीह की नर्सरी से की गई थी। पौधारोपण के बाद बांसबत्ती से घेराबंदी का भी प्रावधान किया गया। वर्मी कपोस्ट और खाद से आम के पौधे लगाए गए। पौधारोपण के बाद करीब डेढ़ माह बाद अधिकतर पौधे मर गए। उसमें जड़ ही नहीं था सिर्फ टहनी लहलही रही थी। बीडीओ ने सभी रोजगार सेवक को तुगलकी फरमान जारी कर जबरन किसानों से पौधे लगवाए। खोदे गए गड्ढे में पौधे को लगा दिया और सरकार की महत्वाकांक्षी योजना श्रेय प्रशासनिक अमला ले गए। बाद में जब पौधे मर गए तो किसानों ने शिकायतों की बौछार लगा दी। प्रखण्ड से लेकर जिला से जांच टीम आई। तत्कालीन उप विकास आयुक्त अंजली यादव ने संबंधित एजेंसी पर कार्रवाई का निर्देश दिया। किसानों को उचित मुआवजा दिलाने का भी भरोसा दिया गया लेकिन इसका फलाफल किसानों को नहीं मिला। दिन सप्ताह और महीने के बाद अब साल गुजर गए लेकिन किसानों को आज तक उनका हक नहीं मिला। मामला फाइलों में ही दब गए।
बसंतराय प्रखंड में करीब 70 एकड़ जमीन में करीब 6800 आम के पौधे लगे थे। सभी पौधे अब निष्प्राण हैं। जमनीकोला पंचायत के किसान हरि किशोर मिश्रा, विभाकर झा, मोहम्मद मजहर, मो अख्तर, बीबी अफसाना, मैमूना खातून, सुस्ती पंचायत के नौशाद आलम, सुधाकर झा, रतनदीप राही, संतोष कुमार आदि किसानों का आरोप है कि बागवानी योजना में किसानों को धोखा दिया गया। खेती योग्य जमीन पर अब धान की रोपाई भी नहीं पाए। एक वर्ष बीत गए। क्षतिपूर्ति मुआवजा और वैकल्पिक पौधे नहीं मिले हैं।