हड्डी टूट जाए तो गोड्डा सदर अस्पताल मत जाइए

ऑर्थोपैडिक सर्जन की कमी से जूझ रहा कायाकल्प अवार्ड पाने वाला जिला अस्पताल जासं गोड्डा सदर अस्पताल गोड्डा ने प्रांत के सभी अस्पतालों को पीछे छोड़ते हुए कायाकल्प अवार्ड जीता है। वहीं दूसरी ओर सदर अस्पताल में एक भी हड्डी के डॉक्टर नहीं है। इससे स्थानीय लोगों को उपचार में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि सदर अस्पताल में कोई मरीज हाथ पांव टूटने के बाद भर्ती होता है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 11:26 PM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 11:26 PM (IST)
हड्डी टूट जाए तो गोड्डा सदर अस्पताल मत जाइए
हड्डी टूट जाए तो गोड्डा सदर अस्पताल मत जाइए

जासं, गोड्डा : गोड्डा के सदर अस्पताल गोड्डा ने सुविधा और चिकित्सा व्यवस्था में सूबे अस्पतालों पछाड़ते हुए हाल में ही कायाकल्प अवार्ड जीता है। मगर, फिलहाल इस अस्पताल में हड्डियों से संबंधित रोगों के उपचार के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। यदि सदर अस्पताल में हाथ, पांव या अंगुली भी टूटने का मामला आता है तो उसे प्राथमिक इलाज के बाद रेफर कर दिया जाता है। जिले में गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले पांच लाख लोगों के इलाज के लिए यह अस्पताल ही सहारा है।

यहां आठ सरकारी डॉक्टर समेत 13 डॉक्टर पदस्थापित हैं। ऑर्थो के डॉ. अरविद कुमार सहित चार डॉक्टर अवकाश पर हैं। प्रतिनियुक्ति चार्ट के अनुसार चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा, डॉ. ताराशंकर झा, डॉ दिलीप कुमार ठाकुर डॉ. अंबिका प्रसाद सिंह, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद जुनैद आलम,प्रति चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मंटु टेकरीवाल, महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रभा रानी प्रसाद, डॉ उषा सिंह, रेडियोलॉजिस्ट, डॉ. दीपक कुमार डॉ अंगेश कुमार सिंह (नेत्र रोग), डॉ अनुपमा (दंत रोग), डॉ निमिषा रानी (एसएनसीयू) कार्यरत हैं। डॉ. अरविद कुमार (डी ऑर्थो), शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मो नावेद अख्तर, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएल वैध व महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूजा भगत अध्ययन अवकाश में हैं।

अगर अंगुली भी टूट जाए तो इस स्थिति में मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है। अन्यथा मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ता है। चिकित्सक की कमी के कारण कई उपकरण भी यहां शोभा की वस्तु बनी हुई है। कायाकल्प अवार्ड पाने वाले इस जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए विभागीय स्तर से कई बार राज्य मुख्यालय को प्रतिवेदन भेजा गया है। डीएमएफटी फंड से ठेका के आधार पर भी चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की गई है लेकिन हड्डी का एक भी डॉक्टर यहां वर्तमान में नहीं है। सड़क हादसे में अधिकतर ऐसे ही मामले आते हैं। प्राथमिक उपचार के बाद सीधे भागलपुर रेफर कर दिया जाता है जिससे मरीजों की भारी फजीहत होती है।

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चिकित्सकों की कमी से मरीजों को होने वाली परेशानी संज्ञान में है। विभाग को अवगत करा दिया गया है। अस्पताल में जितने भी चिकित्सक अभी हैं, उनसे बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है। ऑर्थेापैडिक सर्जन की कमी शीघ्र दूर हो जाएगी।

- डॉ रामदेव पासवान, सिविल सर्जन, गोड्डा।

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