मंत्रोच्चार के साथ माता लक्खी की हुई पूजा-अर्चना

गांडेय (गिरिडीह) महेशमुंडा रेलवे स्टेशन के समीप रघईडीह में शुक्रवार देर शाम को

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 12:17 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 12:17 AM (IST)
मंत्रोच्चार के साथ माता लक्खी की हुई पूजा-अर्चना
मंत्रोच्चार के साथ माता लक्खी की हुई पूजा-अर्चना

गांडेय (गिरिडीह) : महेशमुंडा रेलवे स्टेशन के समीप रघईडीह में शुक्रवार देर शाम को सादे समारोह में लक्खी पूजा की विधिवत शुरुआत हुई। जिप सदस्य सह कमेटी के अध्यक्ष धनंजय राणा ने कार्यक्रम की शुरुआत की। पूजा स्थल में माता लक्खी की प्रतिमा स्थापित कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजा अर्चना की गई। वहीं जागरण मंडली ने रात भर देवी का जागरण किया। माता के भव्य जागरण से महेशमुण्डा एवं उसके आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया।

कोरोना महामारी के कारण मेला का नहीं हो रहा आयोजन : धनंजय राणा ने बताया कि महेशमुंडा लक्खी पूजा के साथ प्रत्येक वर्ष दो दिवसीय मेला का भी आयोजन होता था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण इस वर्ष मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजा अर्चना की जा रही है। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कमेटी पूजा संचालन कर रही है। यहां 1942 में पूजा शुरू हुई है, जो अब तक जारी है।

-दूर दराज से लोगों का होता था जमावड़ा : महेशमुंडा लक्खी पूजा सह मेला का लुत्फ उठाने के लिए गांडेय, बेंगाबाद, गिरिडीह, मधुपुर, मुरलीपहरी, मारगोमुंडा, देवघर, आसनसोल समेत अन्य दूर दराज स्थानों से लोगों का आना जाना लगा रहता था। मेला में बड़ा झूला , तारामाची, मौत का कुआं, ब्रेक डांस, ड्रैगन , मिक्की माउस, गगनचुंबी तारामाची, खिलौने समेत सभी जरूरत की सामग्री व मिठाइयों की दुकानें लगती थी। उदघाटन समारोह में पूजा कमेटी के सचिव बैजनाथ राणा , उप सचिव विजय गोस्वामी , कोषाध्यक्ष सुखदेव शर्मा , गोपाल राणा , राजकुमार रविदास, सदानंद राणा , पुजारी अशोक पाठक, राजकुमार पाठक , बिक्की राणा , जनार्दन दास , समेत अन्य लोग शामिल थे। निमियाघाट : पारसनाथ स्टेशन रेलवे कॉलोनी स्थित दुर्गा मंदिर में भक्तिभाव से लक्खी पूजा का आयोजन किया गया। इसके लिए दुर्गा मंदिर परिसर में मां की प्रतिमा स्थापित कर भव्यता के साथ पूजा की गई। रेलवे कॉलोनी सहित आसपास के स्थानीय महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने मां लक्खी की पूजा-अर्चना कर सुख-संपत्ति की कामना की। पूजा में माता लक्ष्मी को नए अन्न का भोग लगाकर श्रद्धालुओं ने धन-धान्य एवं संपन्नता की कामना की। इस अवसर पर मां लक्ष्मी की आराधनामयी गीतों व भजनों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान होता रहा। समृद्धि और धन्य-धान की देवी मां लक्खी की पूजा मंदिर के पुरोहित ने विधि-विधान से कराई। पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया था। पूजा अनुष्ठान की मान्यता यह है कि इस दिन मां लक्ष्मी सभी के घरों में घूमती है और धन दौलत का वरदान देती हैं। इस दौरान मां लक्ष्मी के साथ-साथ प्रकृति की भी पूजा होती है। महिलाओं की बनाई गई अल्पना और उनके श्रृंगार में विशेष तौर पर मां लक्ष्मी के चरण चिह्न बनाए जाते हैं। कामना की जाती है कि मां लक्ष्मी घर में आकर वापस न जाएं। दुर्गा पूजा के बाद लक्खी पूजा समारोह में न केवल बंगाली समुदाय बल्कि हिदू धर्मावलंबियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पूजा को सफल बनाने में मृत्युंजय कुमार सिंह, अविनाश कुमार, उमेश पासवान, विकास कुमार, बालक कांत पाठक, रजनीश कुमार, केएन मिश्रा, बबलू सोनी, राजीव कुमार, धर्मेंद्र सिंह, बिजली, तुलेश्वर महतो सहित पूजा समिति के अन्य लोग लगे थे।

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