जो दिलाते थे सम्मान, उनकी मिट रही पहचान
संवाद सहयागी खोरीमहुआ पुराने जमाने में पोखर और तालाब से लोगों का समाज में सम्मान होता था।
संवाद सहयागी, खोरीमहुआ : पुराने जमाने में पोखर और तालाब से लोगों का समाज में सम्मान होता था। जिनके पास अपना पोखर-तालाब होता था, उन्हें समाज में संपन्न माना जाता था। अब वैसी बात नहीं रही, जो तालाब लोगों को सम्मान दिलाते थे, आज उनकी ही पहचान मिट रही है। सरकारी स्तर पर संचालित तालाबों के साथ-साथ निजी तालाबों की भी दुर्दशा हो रही है।
आधुनिक मानव भले ही विकास के इस दौर में नए-नए आविष्कार कर अपने को बहुत ही सभ्य एवं विकसित समझ रहे हैं, लेकिन उन्हें शायद यह पता नहीं है कि पुराने जमाने के लोगों की सोच शायद उनसे ज्यादा विकसित थी। तभी तो वे जल को संरक्षित व पर्यावरण को सुदृढ़ करने का महत्वपूर्ण साधन तालाब खोदवाते थे। मौजूदा समय में लोगों की उपेक्षा के चलते तालाबों का स्वरूप बिगड़ गया है। वर्तमान समय में तालाबों के संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है। लोगों की नकारात्मक सोच के कारण धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने का महत्वपूर्ण जगह एवं जल संरक्षण का मुख्य आधार तालाब दुर्दशा की भेंट चढ़ रहा है।
धनवार के इस इलाके में जल संरक्षण का मुख्य माध्यम तालाब को ही माना जाता है, लेकिन लोगों की नकारात्मक सोच के कारण तालाबों का शोषण जारी है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में भी अब तालाबों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। कहीं अतिक्रमण तो कहीं उपेक्षा के चलते तालाब अस्तित्व खो रहा है। वहीं जल संचय नहीं होने से पेयजल का संकट भी गहराता जा रहा है। ऐतिहासिक महत्व से लेकर साधारण तालाब भी दिन-प्रतिदिन सिकुड़ते चले जा रहे हैं। सिरसाय पंचायत में बघमारी तालाब, धनवार के नवाडीह मंडप स्थित तालाब, चित्तरडीह का बड़ा तालाब, सांसद आदर्श ग्राम पंचायत स्थित दो एकड़ में फैला तलाब, ओरखार स्थित तालाब, लाल बाजार के तारा अहरी, धनवार के कटवानियां तालाब, बेलभरणी तालाब की हालत भी दयनीय हो चुकी है। रखरखाव के अभाव में इनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।