भ्रष्टाचार की बाढ़ में बह गया चेकडैम

संवाद सहयोगी बिरनी केंद्र व राज्य सरकार जल संचय के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कई योजनाएं चला

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 09:35 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 09:35 PM (IST)
भ्रष्टाचार की बाढ़ में बह गया चेकडैम
भ्रष्टाचार की बाढ़ में बह गया चेकडैम

संवाद सहयोगी, बिरनी : केंद्र व राज्य सरकार जल संचय के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कई योजनाएं चला रही है। जल संरक्षण और कृषि को बढ़ावा देने के लिए सिमराढाब में 77 लाख की लागत से लघु सिचाई विभाग ने 12 वर्ष पूर्व डैम का निर्माण तो कराया, लेकिन यह डैम 77 दिन भी नहीं टिका और 70 दिन में ही भ्रष्टाचार की बाढ़ में बह गया। इससे किसानों को एक दिन भी लाभ नहीं हुआ। डैम से खेतों में एक दिन भी पानी नहीं पहुंचा है। डैम बहते ही किसानों का सपना चूर-चूर हो गया। डैम का पुन: निर्माण कराने की दिशा में किसी भी जनप्रतिनिधि व प्रशासन का ध्यान नहीं गया है, जबकि यह डैम प्रखंड कार्यालय के ठीक सामने पूर्व दिशा में लगभग तीन सौ मीटर की दूरी पर है।

किसानों ने कई बार बीडीओ से लेकर उपायुक्त व मुख्यमंत्री तक आवेदन देकर पुन: निर्माण कराने की मांग की है, लेकिन 12 साल के बाद भी किसी का ध्यान इस पर नहीं गया है। लिहाजा किसानों को न सिचाई की सुविधा मिल रही है और न जल संचय हो रहा है। जल संचय होता तो आसपास के गांव के कुओं, चापाकलों, तालाबों, डोभों आदि में जल स्तर बना रहता। अब यह डैम खुद प्यासा है।

जब डैम का निर्माण हुआ था तो पुरना नगर, बरहमसिया, जीतकुंडी, बिरनी, बिराजपुर, बतलोहिया, पलौंजिया आदि गांवों के किसानों को काफी खुशी थी कि इस क्षेत्र में अब सिचाई की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन डैम डैम बहने के साथ ही किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। इन गांवों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है। कुआं, चापाकल, तालाब, नदी, नाले सभी सूखने के कगार पर हैं। भयंकर जल संकट उत्पन्न होने लगा है। - डबर सैनी पहाड़ की तलहटी नाला के सिमराढाब में लगभग छह एकड़ में 12 वर्ष पूर्व सरकार ने जिस उद्देश्य से डैम बनाया, वह पूरा नहीं हुआ। यह डैम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और इससे ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं हुआ।

विजय बैठा, ग्रामीण, सिमराढाब ---------------------- संसार में प्रत्येक जीव-जंतु का आधार जल ही है। जल नहीं है तो कल के लिए जीवन नहीं रहेगा। शायद ही किसी को जल की आवश्यकता नहीं है। नदी, तालाब, डैम और समुद्र को भी पानी चाहिए। डैम टूटते ही गुणवत्ता की पोल खुल गई। इससे साफ जाहिर होता है कि यह डैम भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा है। रामदेव यादव, समाजसेवी, पुरना नगर

---------------------- दिनोंदिन जलसंकट गहराता जा रहा है। हम सभी को जल संरक्षण पर ध्यान देना होगा। पानी बचाना हम सभी का दायित्व भी है। जल की समस्या को लेकर यहां के जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं है।

गुरुदेव प्रसाद, समाजसेवी

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