समाज की सेवा कर रही सहिया दीदी रूही तबस्सुम

बिरनी (गिरिडीह) कहा जाता है कि नारियों में वह शक्ति है जो अपने बलबूते घर परिवार सम

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 04:53 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 04:53 PM (IST)
समाज की सेवा कर रही सहिया दीदी रूही तबस्सुम
समाज की सेवा कर रही सहिया दीदी रूही तबस्सुम

बिरनी (गिरिडीह) : कहा जाता है कि नारियों में वह शक्ति है जो अपने बलबूते घर परिवार समेत समाज की पुरानी तस्वीर बदल सकती है। प्रखंड के चरघरा की इंटर पास सहिया दीदी रूही तबस्सुम वर्ष 2007 से अपने परिवार के साथ-साथ समाज की सेवा कर रही हैं। अपने गांव की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में लाकर उनका प्रसव करा रही है। वह सिर्फ प्रसव ही नहीं बल्कि गर्भवती व धात्री महिलाओं को रहन-सहन, खान पान व समय पर टीका लगवाने की जानकारी दे रही है। साथ ही ग्रामीणों को अन्य बीमारियों से बचाव की जानकारी देने के लिए घर-घर जाकर उन्हें जागरूक कर रही है। 15 वर्ष में अपने गांव की लगभग डेढ़ सौ महिलाओं का प्रसव बिरनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निश्स्वार्थ भाव से कराया है। जो भी सरकार का आदेश आता है उसका पालन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के निर्देश पर करती है।

-कोरोना महामारी में मरीजों को दे रही सेवा : कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर सजग व सतर्क होकर अपने दायित्वों को निभाने में वे जुटी है। रूही अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रही है। गांव की महिलाओं को प्रसव कराने के लिए व अन्य जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचती है। वे गांव में घूम-घूम कर कोरोना संक्रमण से बचने के लिए स्वाब जांच तथा टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक कर रही है। वह लोगों को स्लोगन सुनाती है कि घर से नहीं निकलें, बाहर निकलने पर चेहरे पर मास्क लगाएं और भीड़-भाड़ में शारीरिक दूरी बनाए रखें।

-शुरू से थी समाज की सेवा करने की ललक : रूही तबस्सुम का सपना शुरू से समाज की सेवा करने का था जो अब पूरा हो रहा है। कहा कि अपने माता-पिता व सास-ससुर के आशीर्वाद से वे यहां तक पहुंची है। जब शादी हुई तो अपनी ससुराल में घर के अंदर रहती थी। एक दिन उन्होंने अपने सास-ससुर व शौहर से कहा कि माता-पिता ने जो शिक्षा-दीक्षा उसे दी है वह इस घर की चारदीवारी में कैद होकर रह जाएगा। तब सास ससुर व शौहर ने कहा कि घर परिवार व समाज के उज्ज्वल भविष्य देने के लिए जो करना चाहती हो तुम करो। उसी समय वर्ष 2007 में गांव में सहिया दीदी चयन हो रहा था। तब वह भी अपने गांव की सहिया दीदी के रूप में चयनित हो गई और काम करना शुरू कर दिया। उस वक्त ग्रामीणों का उसे काफी ताना सुनना पड़ता था। ग्रामीणों का वहीं ताना उसे आशीर्वाद के रूप में मिला। अब ग्रामीणों को कुछ भी होता है तो वे तुरंत उनसे संपर्क कर उन्हें सलाह देती और लेती भी हैं।

-कोरोना टीकाकरण के लिए लोगों को कर रही है प्रेरित : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार के चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान को अपने गांव में शत प्रतिशत सफल करने में वे लगी हैं। गांव-गांव में घूमकर 45 वर्ष से अधिक उम्रवाले व्यक्तियों व बुजुर्गो को टीका लेने के लिए वे प्रेरित कर रही है और टीकाकरण करवा रही है।

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