सड़क न पुल, कठिन है तिलकडीह की डगर

गिरिडीह सूबे के अति नक्सल प्रभावित भेलवाघाटी की तिलकडीह पंचायत के कारिपहरी बरवाटोल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Jul 2021 01:01 AM (IST) Updated:Wed, 14 Jul 2021 01:01 AM (IST)
सड़क न पुल, कठिन है तिलकडीह की डगर
सड़क न पुल, कठिन है तिलकडीह की डगर

गिरिडीह : सूबे के अति नक्सल प्रभावित भेलवाघाटी की तिलकडीह पंचायत के कारिपहरी, बरवाटोला, सिजुआ, फुटका, चनली का सीधा सड़क संपर्क देवरी अंचल से नहीं है। सड़क कच्ची है और एक छोटी नदी चोल्खो पड़ती है। बरसात के दिनों में बड़ी परेशानी होती है। इस क्षेत्र का प्रखंड देवरी और थाना भेलवाघाटी पड़ता है। दोनों ओर नदी पार करना पड़ता है जिस पर पुल अभी तक नहीं बना है। करीब 6.2 किमी लंबी सड़क और एक पुलिया बनाने से इस क्षेत्र के लोगों को बहुत सुविधा होगी। लोग समाज की मुख्य धारा में शामिल हो जाएंगे। साथ ही दोनों राज्यों की पुलिस भी माओवादियों पर अंकुश लगा सकेगी। गिरिडीह जिला और जमुई क्षेत्र के दोनों इलाकों में आवागमन की समस्या दूर हो जाएगी। लंबे समय से इस सड़क की मांग की जा रही है।

देवरी प्रखंड के जमुई सीमा से सटे गांवों में आज भी सड़कों का निर्माण नहीं किया गया है। कारिपहरी, बरवा टोला, सिजुआ, साल बहयार, फुटका, चनली गांवों के लोग आज भी एक सड़क के लिए तरस रहे हैं। उन्हें देवरी प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए भेलवाघाटी होकर जाना-आना पड़ता है। यह सडक बन जाने से ग्रामीणों को 12 किमी अतिरिक्त घूमना नहीं पड़ेगा। सड़क नहीं रहने से बरसात के दिनों में अत्यधिक समस्या होती है, कीचड़ में वहां वाहन फंस जाते हैं। कई बार दुर्घटना हो जाती है। बरसात के बाद भी सड़क पर गड्ढा रह जाता है। जिसे ग्रामीण श्रमदान कर साइकिल और मोटरसाइकिल चलने लायक बनाते हैं। बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं। यदि कोई बीमार पड़ जाता है तो सड़क के अभाव में कोई वहां आ-जा नहीं सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को चारपाई में टांग कर ले जाना पड़ता है। कभी-कभी नक्सली सड़क में बम भी छिपाकर रख देते हैं। इससे कोई अनहोनी की संभावना हमेशा बनी रहती है।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

-बिहार की सीमा से सटा यह पूरा इलाका उपेक्षित है। जिला मुख्यालय छोड़िए, प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए भी यहां से सड़क नहीं है।

बजरंगी पंडित, ग्रामीण, बरवाटांड़

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-नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सभी जगह सड़कें बन रही है। भेलवाघाटी के इस इलाके को छोड़ दिया गया है। तालो मुर्मू, ग्रामीण, बरवाटांड़

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-बिहार की सीमा से सटे करीब एक दर्जन से अधिक गांव आज भी सड़क से अछूता है। सरकार को शीघ्र यहां सड़क बनानी चाहिए।

लखन बेसरा, ग्रामीण, बरवाटांड़

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-सरकार हमारे गांव पर भी ध्यान दे। कम से कम आने-जाने के लिए सड़क ही बनवा दे। यहां जीवन बहुत मुश्किल है।

हूरो सोरेन, ग्रामीण, बरवाटांड़

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-आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे यहां जब सड़क व पुल नहीं है तो कैसा होगा हमारा जीवन। सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए।

पलटन हांसदा, ग्रामीण, बरवाटांड़

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