आपके मन में जैसे विचार बनेंगे उसी तरह भविष्य होगा
पारसनाथ (गिरिडीह) सम्यक पुरुषार्थ से ही किसी व्यक्ति का भविष्य निर्माण होता है। आज का आंति
पारसनाथ (गिरिडीह) : सम्यक पुरुषार्थ से ही किसी व्यक्ति का भविष्य निर्माण होता है। आज का आंतरिक विचार ही भविष्य में मूर्त आकार लेगा। अब्बासस्वविचारों पर ही जीवन की धार होती है यान भाव ही भव प्रदान करते हैं। उक्त बातें आचार्य विशुद्ध सागर ने कही। वे बुधवार को मधुबन स्थित तेरापथी कोठी के प्रवचन सभागार में लोगों को संबोधित कर रहे थे। महाराज इन दिनों चातुर्मास प्रवास पर हैं तथा प्रतिदिन भक्तों को धार्मिक व आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ जीवन जीने की कला भी बताते हैं। आचार्य ने कहा कि प्रभु वंदना, गुरु सेवा, संयम, दया, दान व करूणा भाव मानव जीवन के परम गुण हैं। जिसके पास करूणा होती है वह हमेशा सम्यक कार्य करता है। पुण्य के कारण ही व्यक्ति का पुरुषार्थ सफल हो पाता है। श्रेष्ठ पुरूष पुण्यार्जन के अनुष्ठान को विपत्ति के समय भी नहीं छोड़ता है और सच्चा मानव उसे ही कहते हैं जो अपने कर्तव्यों को कभी न छोड़े ।
उन्होंने शरीर शुद्धि और भाव शुद्धि पर जोर दिया। कहा कि जिसका भोजन, भाषा और भाव शुद्ध है वहीं आत्म कल्याण के मार्ग पर चलते हुए परम सुख को प्राप्त कर सकता है। श्रेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ कार्य की ही आवश्यकता होती है। श्रेष्ठ कार्य ही श्रेष्ठता प्रदान करने में सक्षम हैं। जो विनयवान होता है उसे मान नहीं होता है। जो मान, अभिमान को छोड़ सकता है वही विषय बन सकता है और फिर गुरू के बिना उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता।