कर्मचारी की मनमानी ने बढ़ाई ग्रामीणों की परेशानी
गिरिडीह राजस्व कर्मचारी की मनमानी ने जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों और रैयतों की पर
गिरिडीह : राजस्व कर्मचारी की मनमानी ने जमीन की खरीद-बिक्री करने वालों और रैयतों की परेशानी बढ़ा दी है। मामला सदर अंचल के हल्का नंबर छह से संबंधित हैं। कर्मचारी की इस मनमानी से लोग काफी त्रस्त हैं। लोगों में आक्रोश भी पनप रहा है।
लोगों का कहना है कि इस हल्का में जमीन से संबंधित सभी कार्यो का निष्पादन पैसे लेकर किया जाता है। पैसे देनेवाले का काम तुरंत कर दिया जाता है और नहीं देनेवालों का काम महीनों तक नहीं होता है।
पंजी दो में शामिल चार प्लाट जमीन की ऑनलाइन प्रविष्टि के लिए परमानंद राम ने आवेदन दिया था, लेकिन कर्मचारी ने उसमें से एक प्लाट हटाकर ऑनलाइन प्रविष्टि की अनुशंसा की है। महेशलुंडी निवासी बिट्टू साव ने अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा पंजी दो में छेड़छाड़ करने की शिकायत सीओ से की है। उन्होंने कहा है कि हल्का कर्मचारी के स्थान पर कर्मवीर यादव नामक व्यक्ति तहसील भवन में बैठता है। वह अपनी खरीदी जमीन की जमाबंदी कायम कराने के लिए हल्का कर्मचारी से मिला तो उसने उसे कर्मवीर यादव से मिलने की बात कही। कर्मवीर यादव से संपर्क करने पर उसने तहसील भवन में बुलाया। वहां पहुंचने पर उसने 50 हजार रुपये की मांग की। पैसे देने से असमर्थता जताने पर उसने जमाबंदी आवेदन को खारिज करने की धमकी दी।
हल्का से नहीं हो रहा मोह भंग :
लोगों का कहना है कि राजस्व कर्मचारी त्रिभुवन यादव का इस अंचल और हल्का से मोह भंग नहीं हो रहा है। यही वजह है कि स्थानांतरण होने के बाद भी वह पुन: येनकेन प्रकारेण यहीं काबिज हो जाते हैं। गत वर्ष जून महीना में उनका स्थानांतरण गावां हुआ था। वहां से उन्होंने बेंगाबाद स्थानांतरण करा लिया। बेंगाबाद में कुछ महीना काम करने के बाद पुन: उनका स्थानांतरण गिरिडीह हो जाता है। इसके करीब दस दिन बाद उन्हें पुन: हल्का छह का प्रभार मिल जाता है। इस पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी जल्दी पुन: उनका स्थानांतरण गिरिडीह कैसे हो गया। साथ ही उसी हल्का का प्रभार भी दे दिया गया, जिसमें पहले से थे। - तहसील भवन में कर्मवीर यादव नामक कोई व्यक्ति नहीं बैठता है। काम करने के एवज में किसी से पैसे की भी मांग नहीं की जाती है। जमीन की ऑनलाइन प्रविष्टि संबंधी आवेदन में मैंने कोई प्लाट नहीं हटाया है। यदि कहीं से कोई गलती हुई होगी, तो उसे सुधार दिया जाएगा। मैं शुगर का मरीज हूं। गावां जाकर काम करने में परेशानी होती थी, इसलिए पुन: गिरिडीह स्थानांतरण करा लिया।
त्रिभुवन यादव, राजस्व कर्मचारी