नहीं हुआ स्थानांतरण, शिक्षकों में रोष
गिरिडीह जिले में कार्यरत प्लस टू शिक्षकों का स्थानांतरण फिर नहीं हुआ। झारखंड 2 शि
गिरिडीह : जिले में कार्यरत प्लस टू शिक्षकों का स्थानांतरण फिर नहीं हुआ। झारखंड 2 शिक्षक संघ ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए सरकार और विभाग की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही विभागीय मंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है।
बताया गया कि वर्ष 2012 में नियुक्त 2 शिक्षकों में महिला एवं दिव्यांग को छोड़कर सामान्य पुरुषों को गृह जिले में योगदान नहीं कराया गया। इसके लिए नियुक्ति पत्र के एक कंडिका में उल्लेख कर दिया गया, जिस कारण 2012 में नियुक्त 2 शिक्षक अपने गृह जिले में पदस्थापित न होकर अन्य सुदूरवर्ती जिलों में पदस्थापित हुए, जबकि 2017 व 2018 में इस नियम को विलोपित कर पुन: जब 2 शिक्षकों की बहाली हुई तो उन्हें अपने गृह जिले एवं प्रखंड में भी पदस्थापित किया गया। शिक्षा विभाग ने 2 शिक्षकों के स्थानांतरण की 2019 में नियमावली बनाई है, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इसके क्रियान्वयन की कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई है। अंतिम बार 2015 में कुछ 2 शिक्षकों का स्थानांतरण विभाग ने किया था। इसके बाद सात वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक बार-बार आवेदन देने के बाद भी 2 शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो पाया है।
रद कर दिया गया स्थानान्तरण : वर्ष 2019 में विभागीय निदेशक ने आवेदन के आधार पर 29 एवं 31 जुलाई 2019 को लगभग 2252 शिक्षकों का स्थानांतरण किया था, लेकिन तत्कालीन विभागीय मंत्री के हस्तक्षेप और स्थानांतरण नियमावली का हवाला देकर इसे निरस्त कर दिया गया। स्थानांतरण रद करने के बाद विभाग ने कहा था कि वर्ष 2020 से नियमानुकूल स्थानांतरण किया जाएगा, लेकिन शिक्षकों के आवेदन देने के बाद भी पुन: कोई स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि लगभग सभी विभागों में स्थानांतरण किया गया।
कोविड-19 का हवाला दे रद किया स्थानांतरण : संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि शिक्षा विभाग की मनमानी इसी बात से उजागर होती है कि हाल में हुए प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारियों का स्थानांतरण कोविड-19 का बहाना बनाकर रद कर दिया गया, जबकि ग्रामीण विकास विभाग के लगभग 90 पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है। ऐसा में सवाल उठता है कि क्या कोविड-19 से केवल शिक्षा विभाग के पदाधिकारी एवं शिक्षक ही प्रभावित होते हैं। बाकी सब विभाग कोरोना मुक्त हैं।
संघ के प्रदेश संगठन मंत्री डॉ. बिमलेंदु कुमार त्रिपाठी, सचिव विजय कुमार महतो आदि ने शिक्षकों का एक निश्चित समयान्तराल के बाद आवेदन के आधार पर स्थानांतरण करने की मांग विभाग से की है, ताकि अपने परिवार से दूर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवा दे रहे शिक्षकों को भी कभी अपने गृह जिले एवं शहर में पदस्थापित होने का अवसर प्राप्त हो सके।