गोवा में फंसे छह हजार प्रवासियों को ट्रेन का इंतजार

गोआ में रह रहे छह हजार प्रवासी मजदूरों को झारखंड लाने की बात कह कर पहले स्टेशन फिर एक स्टेडियम में रखा गया है।सभी प्रवासी तीन दिनों से महिलाओं और बच्चों के साथ एक स्टेडियम में रह रहे हैं।गोआ में फंसे इन प्रवासियों को व्हाट्सएप पर मैसेज दिया गया था कि 27 मई को करमली स्टेशन से ट्रेन भेजने की व्यवस्था की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 11:00 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 11:00 AM (IST)
गोवा में फंसे छह हजार प्रवासियों को ट्रेन का इंतजार
गोवा में फंसे छह हजार प्रवासियों को ट्रेन का इंतजार

गिरिडीह: गोवा में रह रहे छह हजार प्रवासी मजदूरों को झारखंड लाने की बात कहकर पहले स्टेशन फिर एक स्टेडियम में रखा गया है। सभी प्रवासी तीन दिनों से महिलाओं और बच्चों के साथ एक स्टेडियम में रह रहे हैं। गोवा में फंसे इन प्रवासियों को वाट्सएप पर मैसेज दिया गया था कि 27 मई को करमली स्टेशन से ट्रेन भेजने की व्यवस्था की गई है। करीब छह हजार प्रवासी अपने परिवार के साथ ट्रेन आने के समय से दो घंटे पूर्व स्टेशन पहुंच गए। घंटों इंतजार के बाद भी झारखंड जाने के लिए ट्रेन नहीं पहुंची। सभी प्रवासियों ने अपने घर जाने की चाहत में वहां रह रहे किराए के मकान को भी छोड़ दिया था। ट्रेन नहीं आने पर सभी को स्थानीय स्टेडियम में रखा गया है। वहां से प्रवासियों ने मैसेज भेज मदद की गुहार लगाई है। एक प्रवासी सुरेंद्र ने बताया कि अब सभी प्रवासी बेघर हो गए हैं। न तो किराए के मकान का आसरा है और न ही अपने घर लौट सके हैं। जिस स्टेडियम में सभी को रखा गया है वहां शारीरिक दूरी का बिलकुल पालन नहीं किया जा सकता है। उन्हें खुले में दिन और रात काटना पड़ रहा है। खाने-पीने और शौच में काफी परेशानी हो रही है। इसी स्टेडियम में झारखंड के प्रवासियों के साथ वेस्ट बंगाल के प्रवासियों को भी रखा गया है। ट्रेन के इंतजार में इन प्रवासियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से गुहार लगाई है।

प्रवासियों ने मेसेज कर कहा है कि सभी का जीवन कष्टमय हो गया है। जल्द ट्रेन की व्यवस्था करें। सभी प्रवासी गोवा के विभिन्न स्थानों पर रहकर काम करते थे। बताया कि कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन लगने के बाद सभी का काम बंद हो चुका था। किसी तरह जमा पैसे और घर से भेजे पैसे से चूल्हा जल रहा था। अब स्थिति यह है कि इनके पास पैसे भी खत्म हो गए हैं और घर जाने का कोई साधन नहीं है।

बताया कि सुबह शाम खड़ा कर झारखंड वाले से पूछा जाता है। पर ट्रेन कब है और कब आएगी यह नहीं बताया जाता है। प्रवासी राज्य के सभी जिलों के हैं। इनमें ज्यादातर प्रवासी गिरिडीह, रांची, गुमला, दुमका, पलामू व रामगढ़ के हैं। कुछ लोगों को पहले छांटकर झारखंड भेजा गया था। जिनकी कोई पहुंच और पहचान नहीं है वैसे छह हजार प्रवासी ट्रेन आने को लेकर आंखें गड़ाए बैठे हैं।

मुख्यमंत्री जल्द प्रवासियों को लाने का प्रबंध करें : समाजसेवी और प्रवासी मजदूरों के पक्ष में खड़े रहनेवाले सिकंदर अली ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मजदूरों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है।

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