करमा व विश्वकर्मा पूजा को लेकर बाजार में रही रौनक

गिरिडीह शुक्रवार को होने वाले करमा व विश्वकर्मा पूजा को लेकर गुरुवार को गिरिडीह शह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 11:57 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 11:57 PM (IST)
करमा व विश्वकर्मा पूजा को लेकर बाजार में रही रौनक
करमा व विश्वकर्मा पूजा को लेकर बाजार में रही रौनक

गिरिडीह : शुक्रवार को होने वाले करमा व विश्वकर्मा पूजा को लेकर गुरुवार को गिरिडीह शहर स्थित बाजार में काफी रौनक रही। एक ओर जहां करमा पूजा को लेकर महिला युवतियां चूड़ी, बिदी समेत अन्य सौंदर्य सामग्री खरीदने में व्यस्त थीं तो दूसरी ओर विश्वकर्मा पूजा को लेकर श्रद्धालु फल, सजावट व पूजन सामग्री खरीदने में लगे थे। एक साथ दो त्योहार होने के कारण बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी थीं। पूजा को लेकर दुकानदारों ने भी अच्छी तैयारी कर रखी थी। अपनी अपनी दुकानों में सभी तरह के सामानों से सजाया गया था ताकि कोई भी ग्राहक असंतुष्ट होकर ना लौटे।

भइया तुम दीर्घायु हो, बहन को देना आजीवन स्नेह : करमा पर्व। यह शब्द कर्म (परिश्रम) तथा करम (भाग्य) को इंगित करता है। मनुष्य नियमित रूप से अच्छे कर्म करे और भाग्य उसका साथ दे, इसी कामना से करम देवता की पूजा की जाती है। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस पर्व के माध्यम से बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु व समृद्धि की कामना के साथ रिश्ते का फर्ज याद दिलाती हैं।

इन दिनों हर ओर करमा पर्व की धूम है। डुमरी प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में युवतियां करमा गीत व नृत्य कर जावा डालियों को जगा रही हैं। जिस डाली में जावा रोपा जाता है, उसे प्रतिदिन सुबह, दोपहर और शाम को समूह गीत व नृत्य से जगाने का विधान है। ऐसा नहीं करने पर डाली में बोए गए बीज से पौधे नहीं उगते। डुमरी, रांगामाटी, लक्ष्मणटुंडा, रोशनाटुंडा, निमियाघाट, नगरी, बलथरिया, पोरदाग, खाकीकला, टेंगराखुर्द, कुलगो गांव पर्व का उल्लास चरम पर है। युवतियों संग महिलाएं भी प्रकृति से जुड़े इस पर्व में शामिल हो रही हैं। मनोकामना, नीलकमल, सृष्टि, प्रिया, लक्ष्मी, अंजलि, आयशा, अनुष्का, शाइनी, शालू, साक्षी, सोनी, गुड़िया, पुष्पा, सीता कहती हैं कि करमा पर्व का हर साल बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस पर्व से भाई को रिश्ते का फर्ज याद दिलाती हैं। भाइयों से आजीवन स्नेह बनाए रखने का वचन लेती हैं।

गांव-गांव गूंज रहे करमा गीत : डुमरी प्रखंड के गांवों में बच्चियों व युवतियों ने जमुनिया नदी, जोरिया, तालाब, जलाशय में स्नान कर नए बांस की टोकरी में जावा बोया है। बताया कि करमा पर्व शुरू होने के कुछ दिनों पहले उसमें बालू डालकर जौ, उड़द, मक्का, धान के बीज डाले जाते हैं, यही जावा है। करमा पर्व पर करम डाली के समीप पूजा करती हैं। बालों में फूल गूंथकर झूमती-नाचती हैं। भाइयों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। भाई करम वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन में गाड़ते हैं। वे प्रकृति को आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं। पूजा के बाद दूसरे दिन सुबह करम डाल और जावा को रीति के साथ तालाब, पोखर, नदी व जलाशयों में विसर्जित करते हैं।

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