तालिबान से मुक्त होकर भूटान में है प्रकाश महतो

तालिबानियों के कब्जे से मुक्त किए गए गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के घाघरा निवासी प्रकाश महतो अपने पिता जेठू महतो मां पत्नी एवं दोनों बच्चों के साथ भुटान में सकुशल हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 11:45 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 11:45 PM (IST)
तालिबान से मुक्त होकर भूटान में है प्रकाश महतो
तालिबान से मुक्त होकर भूटान में है प्रकाश महतो

गिरिडीह : तालिबानियों के कब्जे से मुक्त किए गए गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र के घाघरा निवासी प्रकाश महतो अपने पिता जेठू महतो, मां, पत्नी एवं दोनों बच्चों के साथ भूटान में सकुशल हैं। अफगानिस्तान में नियोजन देने वाली कंपनी केईसी इंटरनेशनल ने प्रकाश एवं उसके पूरे परिवार को भूटान स्थित अपने कैंप कार्यालय में ठहराया है। केईसी के भूटान में चल रहे ट्रांसमिशन लाइन ठेके में दोनों पिता-पुत्र काम भी कर रहे हैं। जेठू महतो पहले भी केईसी कंपनी में सुपरवाइजर के रूप में कार्य कर चुका है। प्रकाश के अगवा होने के बाद कंपनी ने उसे घर वापस भेज दिया था। जागरण की पड़ताल में सोमवार को इसका खुलासा हुआ है। कंपनी शीघ्र ही प्रकाश महतो व उसके परिवार की घर वापसी कर सकती है। प्रकाश महतो के भाई उमेश महतो ने भी दैनिक जागरण से बातचीत में इसकी पुष्टि की है।

अफगानिस्तान के बघलान प्रांत में भारतीय कंपनी केईसी में कार्यरत दो इंजीनियर समेत सात भारतीय मजदूरों व एक अफगानी चालक को तालिबान ने 6 मई 2018 को अगवा कर लिया था। अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता वार्ता के दौरान उनमें से सबसे पहले प्रकाश महतो को 17 मार्च 2019 को रिहा कर दिया गया था। अभी कुछ दिन पूर्व अगवा किए गए भारतीयों में से तीन और मजदूरों को छोड़ा गया है। इनमें हजारीबाग का काली महतो शामिल है।

रिहाई के बाद प्रकाश महतो को कंपनी के अधिकारी लेकर दिल्ली लौटे थे। कंपनी ने प्रकाश महतो से मिलने के लिए पूरे परिवार को दिल्ली बुलाया था। इसके बाद प्रकाश के माता-पिता, पत्नी चमेली देवी एवं 12 साल की बेटी गायत्री व 8 साल के बेटे निर्मल एक साथ घर से 27 मार्च 2019 को दिल्ली के लिए निकले थे। तब से आज तक न तो प्रकाश घर लौटा है और न ही दिल्ली के लिए निकले परिवार के अन्य सदस्य। ये लोग कहां हैं यह भी पता नहीं चल सका था।

परेशान होकर प्रकाश के भाई उमेश कुमार महतो ने पांच जून को कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई थी। इस बीच प्रकाश महतो के भाई उमेश महतो ने दैनिक जागरण से बातचीत में स्वीकार किया कि उसकी बातचीत भाई प्रकाश, पिता जेठू महतो से मोबाइल पर होती है। दोनों ने बताया कि वे लोग भूटान में पूरे परिवार के साथ हैं। केईसी कंपनी प्रबंधन दोनों को वेतन के अलावा मेडिकल एवं आकस्मिक खर्च के लिए करीब 10 से 15 हजार रुपए अतिरिक्त देती है। उमेश ने बताया कि अगवा किए गए भारतीयों में से तीन और को रिहा करने से इसकी संभावना बढ़ गई है कि बहुत जल्द बगोदर के हुलास महतो और प्रसादी महतो समेत चारों लोगों की भी रिहाई हो जाएगी। प्रकाश एवं उसके पूरे परिवार को घर नहीं भेजने के संबंध में उसका कहना है कि सभी की रिहाई होने पर सभी को एकसाथ कंपनी घर भेजना चाहती है।

दुबारा अफगानिस्तान जाने के छह महीने के अंदर हो गया था अगवा :

उमेश महतो ने बताया कि उसका पूरा परिवार ट्रांसमिशन लाइन में बाहर जाकर काम करता है। पिता केईसी इंटरनेशनल कंपनी में इंदौर में सुपरवाइजर थे जबकि भाई प्रकाश महतो दुबारा केईसी कंपनी में काम करने अफगानिस्तान गया था। परिवार की हालत ठीक नहीं थी। यहां रोजगार मिल नहीं रहा था। प्रकाश पहली बार 2014 में काम करने अफगानिस्तान गया था। तीन साल के बाद वे जनवरी 2017 में वापस लौटे थे। दिसंबर 2017 में वे फिर से अफगानिस्तान चले गए। जाने के छह माह बाद वे अगवा कर लिए गए। उमेश ने बताया कि वह एवं उसका एक और भाई बसंत भी ट्रांसमिशन लाइन में बाहर काम करता था।

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