लोकसभा चुनाव परिणाम ने गिरिडीह में बदले राजनीतिक समीकरण

बोकारो गिरिडीह लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन से मिली आजसू को जीत ने पूरा समीकरण इधर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 May 2019 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 06:29 AM (IST)
लोकसभा चुनाव परिणाम ने गिरिडीह में बदले राजनीतिक समीकरण
लोकसभा चुनाव परिणाम ने गिरिडीह में बदले राजनीतिक समीकरण

बोकारो : गिरिडीह लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन से मिली आजसू को जीत ने पूरा समीकरण इधर से उधर कर दिया है। चुनाव परिणाम जीतनेवाले से अधिक वैसे लोगों को परेशान करनेवाला है जो कि चुनाव नहीं लड़ रहे थे। नवंबर माह में होनेवाले विधानसभा चुनाव में इन नेताओं की भूमिका एवं नए चुनावी समीकरण बनाने की जद्दोजहद अभी से तेज हो गई है। चूंकि जनता ने जो किया है वह विपक्ष के साथ समर्थन देनेवाले नेताओं की बोलती बंद करने वाला है। ऐसे नेता और उनके दरबारी समझ नहीं पा रहे हैं कि आनेवाले पांच माह में क्या करें कि बिगड़ा हुआ समीकरण उनके साथ आ जाए। यह स्थिति लोकसभा के सभी विधानसभा सीटों की है।

गिरिडीह विधानसभा में निर्भय की हुई जय

बोकारो : गिरिडीह विधानसभा ने गत चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया। इसलिए यहां के विधायक निर्भय शहाबादी के हौसले बुलंद हैं, वहीं विपक्षी खेमा झामुमो के लिए इस विधानसभा में सोचनीय स्थिति उत्पन्न हो गई है। वर्तमान लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर अब जनता अलग से आकलन करने लगी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह विधानसभा से भाजपा को 69428 मत मिले थे वहीं दूसरे नंबर पर झामुमो को यहां से 49178 मत प्राप्त हुए थे। पांच माह बाद हुए 2014 के विधानसभा में भाजपा के विधायक निर्भय शहाबादी को 57431 मत मिले तो झामुमो के सुदिव्य कुमार को 47506 मत प्राप्त हुए थे, लेकिन पांच वर्ष बाद हुए लोकसभा चुनाव ने सारा गणित बदल दिया। इस बार एनडीए के प्रत्याशी को 95248 मत प्राप्त हुए वहीं झामुमो को 65283 मत प्राप्त हुए । ऐसे में लगभग तीस हजार मत का अंतर ने विपक्षी खेमे की कमजोरी का उजागर कर दिया है।

डुमरी में जगरनाथ की पराजय

बोकारो : दो विधानसभा चुनाव में बड़ी बढ़त से चुनाव जीतनेवाले झामुमो के विधायक जगरनाथ महतो उर्फ टाइगर लोकसभा का चुनाव दूसरी बार हारे हो लेकिन पूर्व के चुनाव व वर्तमान चुनाव ने उनके राजनीतिक प्रभाव व जनता में पकड़ को कमजोर होने का साफ संकेत दे दिया है। ऐसे में पांच माह बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन बचाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी। आंकड़ों के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में डुमरी विधानसभा से भाजपा को 41014 मत मिले थे, जबकि झामुमो को 84306 मत प्राप्त हुए थे, वहीं 2014 के विधानसभा में 77949 मत झामुमो को मिला और भाजपा को 45487 मत प्राप्त हुआ, पर 2019 के लोकसभा चुनाव में सारा समीकरण उलट गया है। यहां एनडीए को 1 लाख 8 हजार तो झामुमो को मात्र 70 हजार 800 मत प्राप्त हुए हैं। ऐसे में 38 हजार का बड़े अंतर को पाटना और मतदाताओं को एकसाथ करने की चुनौती को लेकर अभी से मंथन शुरू हो गया है।

गोमिया में झामुमो का हुआ पराभव तो माधव को जनता ने नकारा

बोकारो : इसी प्रकार गोमिया विधानसभा सीट जहां से झामुमो की वर्तमान विधायक बबीता देवी है। इससे पूर्व उनके पति योगेन्द्र महतो विधायक थे। चुनाव परिणाम ने इस विधानसभा में एक साथ दो खेमों को चिता में डाल दिया है। अब तक गोमिया के विधानसभा में माधवलाल सिंह एक प्रभावी व्यक्तित्व माने जाते थे, लेकिन इस चुनाव ने उनका भी यह मिथक तोड़ दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में झामुमो को 58025 मत तथा भाजपा को 54683 मत मिले थे। 2018 के उप चुनाव में झामुमो प्रत्याशी बबिता देवी को कुल 60552 मत मिले, जबकि आजसू प्रत्याशी डॉ लंबोदर महतो को कुल 59211 मत मिले। भाजपा प्रत्याशी माधवलाल सिंह को 42038 मत मिला था। इस बार भाजपा व आजसू मिलकर चुनाव लड़े तो समीकरण उलट गया। एनडीए प्रत्याशी को 1 लाख 18 हजार मत प्राप्त हुए और झामुमो के प्रत्याशी को 60389 मत मिले। अंतिम समय में भाजपा को छोड़नेवाले माधव लाल सिंह को जनता ने पूरी तरह नकार दिया। इस चुनाव परिणाम को लेकर विधानसभा का आकलन हो रहा है।

योगेश्वर को मिली ऊर्जा तो राजेन्द्र सिंह सवालों के घेरे में

बोकारो : गिरिडीह लोकसभा चुनाव के परिणाम ने जहां भाजपा के विधायक योगेश्वर महतो बाटुल को ऊर्जा देने का काम किया है, तो पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता राजेन्द्र सिंह के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। चूंकि महागठबंधन के सबसे बड़े समर्थक राजेन्द्र ने बेरमो विधानसभा क्षेत्र के प्रचार का कमान संभाल था। पर चुनाव परिणाम ने झामुमो व कांग्रेस दोनों को अपनी ओर झांकने के लिए मजबूर कर दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 76220 मत मिले थे तो झामुमो को 68990 मत प्राप्त हुए थे। 2014 के विधानसभा में भाजपा को 80489, कांग्रेस को 67876 तथा झामुमो को 11543 मत मिले थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए एनडीए प्रत्याशी ने 1 लाख 12 हजार मत प्राप्त किया वहीं झामुमो को मात्र 70522 मत मिले। ऐसे में कांग्रेस व झामुमो दोनों के सामने सवाल है। दोनों दल के नेता आत्ममंथन कर रहे हैं।

बाघमारा में ढुलू का चला सिक्का, सब हो गए बेहाल

बोकारो : बाघमारा में ढुलू के बिना राजनीति की चर्चा नहीं होती है। लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी की पूरी कमान ढुलू के हाथ में थी। ढुलू ने उस विश्वास को कायम रखा है। विपक्षी एकता व नेताओं के दल बदलने के प्रभाव को फिर से जनता ने नकार दिया है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 85888 मत मिले थे जबकि झामुमो को 33491 मत प्राप्त हुए थे। इसी विधानसभा की बढ़त ने 2014 में इस सीट से भाजपा को जीत दिलाया था। तो 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 86549, जदयू को 56955 तथा झामुमो को 8052 मत मिले। 2019 के लोकसभा में सबके सब एक होकर भी एनडीए प्रत्याशी के करीब नहीं पहुंच सके। यहां एनडीए को प्रत्याशी को 1 लाख 4 हजार तो झामुमो का मात्र 56 हजार मत प्राप्त हुए है। ऐसे में जद यू नेता कांग्रेस में जाना, झामुमो का समर्थन करने का क्या फायदा मिला इस पर विचार चल रहा है।

झाविमो को साथ लेकर भी साख नहीं बचा सका झामुमो

बोकारो : टुंडी विधानसभा क्षेत्र झामुमो का गढ़ माना जाता है। यहां के पूर्व विधायक मथुरा महतो पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। झाविमो के सबा अहमद भी टुंडी क्षेत्र के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। मोदी मैजिक ने सबको ढेर कर दिया। झाविमो व झामुमो एक होकर भी नजदीक तक नहीं पहुंचे। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा को 64672 मत झामुमो को 57608 तथा झाविमो को 23677 मत प्राप्त हुए थे। 2014 के विधानसभा में भाजपा समर्थित आजसू को 55437, झामुमो को 54306 तथा झाविमो को 45178 मत प्राप्त हुए थे, लेकिन लोकसभा 2019 के चुनाव में समीकरण सेट नहीं हो सका। विपक्षी एकता जमीन पर वोटरों को एक नहीं कर पाई। यहां एनडीए प्रत्याशी को 1 लाख 5 हजार तथा झामुमो को 73 हजार मत मिले। ऐसे में इस सीट पर भी नये चुनावी समीकरण एवं विचार मंथन का दौर विपक्षी खेमे में चल रहा है।

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