पूजा पंडालों में आग से 'खेल' रहे समिति संचालक
-जागरण संवाददाता गिरिडीह पूरे जिला में दुर्गोत्सव की धूम मची है। हर जगह उत्साह उमंग अ
-जागरण संवाददाता, गिरिडीह : पूरे जिला में दुर्गोत्सव की धूम मची है। हर जगह उत्साह, उमंग और जश्न का माहौल है। माता की भक्ति में सभी लीन होकर पूजा-आराधना कर रहे हैं, लेकिन इस बीच आग से बचाव के लिए सुरक्षा संबंधी नियमों की अनदेखी भी खूब हो रही है। अधिकांश पूजा पंडालों में अगलगी जैसी घटना होने पर इससे बचने की व्यवस्था नहीं की गई है।
शहर व आसपास के क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक जगहों पर प्रतिमा स्थापित कर दुर्गापूजा की जाती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैकड़ों जगहों पर पूजा होती है। अधिकांश जगहों पर पंडाल आदि का निर्माण किया गया है। बिजली का उपयोग भी हर जगह होगा। माता की आरती होगी। धूप-हवन के लिए आग भी जलाई जाएगी। ऐसे में , पूजा पंडालों में आग लगने का खतरा बना रहता है। इसके बाद भी इससे बचाव का उपाय नहीं किया जाता है। यहां तक कि अग्निशमन विभाग का भी ध्यान इस ओर नहीं है।
ये है प्रावधान :
बताया जाता है कि सभी पूजा पंडालों में अग्निमशन विभाग से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है, लेकिन यहां आग से बचाव को लेकर किसी तरह का कोई आदेश या निर्देश जारी नहीं किया गया है। पूजा समितियों के लोग भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जानकारों का कहना है कि दूसरे जिलों में अग्निशमन विभाग से एनओसी लिए बिना कहीं भी पंडाल आदि नहीं बनाया जा सकता है। एनओसी बिना मेला लगाने की अनुमति भी नहीं दी जाती है, लेकिन गिरिडीह में इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है।
बचाव के लिए करें ये उपाय :
अग्निशमन विभाग के कर्मियों का कहना है कि पूजा पंडालों में आग से बचाव के लिए सबसे पहले पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र का होना आवश्यक होता है। साथ ही, बाल्टी में बालू और पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि पंडालों में आग लगने पर उस पर तत्काल काबू पाया जा सके।
- पूजा समितियां अग्निशमन विभाग से एनओसी नहीं लेती हैं और न ही विभाग को लिखित में कोई जानकारी देती है। यदि समितियां आवेदन देतीं तो उन्हें दिशा-निर्देश व सुझाव दिए जाते कि अगलगी जैसी घटनाओं से बचाव के लिए क्या उपाय किए जाएं।
मोहन चौधरी, अग्निशमन पदाधिकारी, गिरिडीह ।