जल के बिना मैदान में तब्दील हो रहा करिहारी का देवान पोखर

होरोडीह बारिश के मौसम में जल संरक्षण की दिशा में किसी प्रकार के ठोस कार्य नहीं किए

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 08:00 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 08:00 PM (IST)
जल के बिना मैदान में तब्दील हो रहा करिहारी का देवान पोखर
जल के बिना मैदान में तब्दील हो रहा करिहारी का देवान पोखर

होरोडीह : बारिश के मौसम में जल संरक्षण की दिशा में किसी प्रकार के ठोस कार्य नहीं किए गए। जल संरक्षण के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाते रहे और कई तालाब, पोखर का जीर्णोद्धार कई वर्षो से नहीं किया गया है। इसका परिणाम इस गर्मी में नजर आने लगा है। पहाड़ी इलाके में मौजूद नदी नाले से लेकर तालाब सूख गए हैं, वहीं कुछ सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। जलस्तर नीचे नहीं जाए इसके लिए पूर्व समय में जहां पर नदी, नालों पर स्टॉप डैम मौजूद थे, उनकी मरम्मत कराके जल संरक्षण का कार्य नहीं किया। कुछ स्टॉप डैम में गेट तक नहीं लगाए गए, जिस कारण उक्त स्थलों पर पानी का संचय नहीं हो पाया, ऐसे नदी, नाले, तालाब तथा पोखरे पूरी तरह से सूख गए हैं। पहाड़ी इलाकों में सबसे अधिक जलसंकट की स्थिति उत्पन्न होती है। वहां पर जल स्तर को गिरने से बचाने के लिए किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए गए हैं। पहाड़ी इलाकों में जितने भी नदी, तालाब मौजूद हैं, उनमें कुछ सूख चुके हैं तो कुछ सूखने की स्थिति में पहुंच गए हैं। यदि समय रहते पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों और मवेशियों के लिए समुचित जल संरक्षण की सुविधाएं नहीं की गई, तो मनुष्य तथा पशु पक्षियों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। जमुआ प्रखंड अंतर्गत करिहारी ग्राम के देवान पोखर की वर्षो से आज तक मरम्मत नहीं कराई गई है। प्रत्येक वर्ष गर्मी के दस्तक देते ही डेढ़ एकड़ में फैला देवान पोखर सूख जाता है। ऐसे में ग्रामीणों को काफी समस्या होती है। खास कर पशु-पक्षियों को पानी नहीं रहने से प्यासे रहना पड़ता है। किसानों को भी पटवन के लिए कोई साधन नहीं है।

जल है तो कल है। जल के बिना जीवन अधूरा है, इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। खासकर गर्मी के मौसम में जलसंकट की समस्या होती है। जल की समस्या कभी न हो इसके लिए संबंधित विभाग को जल संरक्षण के लिए तालाब, पोखर, नदी, नालों का जीर्णोद्धार कराना चाहिए।

मुन्ना प्रसाद सिन्हा, ग्रामीण, करिहारी

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देवान पोखर में जल संरक्षण के लिए जीर्णोद्धार करना बहुत जरूरी है। इसमें जल संचय इसलिए नहीं हो पाता है कि बारिश के मौसम में पोखर लबालब भर जाता है। गहराई नहीं होने के कारण पिड टूट जाता है।

राजन सिन्हा, ग्रामीण, करिहारी

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इस पोखर की ओर किसी का ध्यान नहीं है। इसे दस फीट गहरा करा दिया जाए, तो इसमें हमेशा पानी रहेगा, जिससे किसानों को सिचाई की समस्या नहीं होगी। पोखर के बगल में विचरनेवाले पशु, पक्षियों को प्यासे नहीं रहना पड़ेगा।

अमित कुमार राम ग्रामीण, करिहारी

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