पीपीई किट पहन महिला का कराया प्रसव, जच्चा-बच्चा की बचाई जान
गांडेय (गिरिडीह) कोरोना महामारी में स्वास्थ्य कर्मी देवदूत बनकर लोगों की सेवा कर रहे
गांडेय (गिरिडीह) : कोरोना महामारी में स्वास्थ्य कर्मी देवदूत बनकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। वे अपने परिवार व अपनी जान की परवाह किए बगैर दिनरात सेवा कार्य में जुटी हैं। गांडेय सीएचसी की सभी नर्स व स्वास्थ्य कर्मी भी लगातार मरीजों की सेवा में जुटे हैं। मदर्स डे के दिन गांडेय की दो एएनएम सविता कुमारी व बेबी कुमारी ने साहसिक कार्य कर जच्चा-बच्चा की जान बचाकर उन्हें नया जीवन दिया है। एएनएम ने डॉक्टर के रेफर करने के बावजूद अपनी हिम्मत से एक कोरोना पॉजिटिव प्रसूता का पीपीई किट पहनकर प्रसव कराया। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहे। उनके इस साहसिक कार्य की चर्चा पूरे गांडेय में है।
प्रखंड के एक गांव की महिला को दिन में प्रसव पीड़ा शुरू हुई। स्वजनों ने उन्हें गांडेय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। ड्यूटी पर कार्यरत एएनएम ने उनकी कोरोना जांच की। जांच में महिला कोरोना पॉजिटिव मिली। प्रसव कराने पहुंची महिला की डॉक्टर ने भी स्वास्थ्य जांच की। जांच में महिला एनीमिक भी मिली। एनीमिक होने के कारण प्रसव में जोखिम को देखते हुए डॉक्टर ने उसे बेहतर प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इसी बीच महिला को प्रसव प्रक्रिया अंतिम क्षण पर पहुंच चुकी थी। उन्हें कभी भी बच्चा हो सकता था। ड्यूटी पर कार्यरत एएनएम सविता कुमारी व बेबी कुमारी ने सोचा कि यदि महिला को गिरिडीह अस्पताल पहुंचने में विलंब हुआ तो रास्ते में ही डिलीवरी हो सकती है। इससे जच्चा-बच्चा दोनों को जान का जोखिम हो सकता है। मदर्स डे के दिन दोनों एएनएम की ममता जाग उठी। उन्होंने प्रसूता के कोरोना पॉजिटिव व एनीमिक होने के बावजूद जच्चा-बच्चा को बचाने के लिए साहस दिखाते हुए जोखिम उठाने को तैयार हो गई। उन्होंने प्रबंधन से पीपीई किट मांगा। प्रबंधन ने दोनों को पीपीई किट उपलब्ध कराया। पीपीई किट पहनकर दोनों एएनएम ने महिला का सुरक्षित प्रसव कराया। प्रसव के बाद दोनों स्वस्थ रहे।
सेवा देते हुए कई बार हुई अस्वस्थ : दोनों एएनएम गांडेय सीएचसी की काफी अनुभवी एएनएम हैं। वे टीकाकरण, प्रसव समेत अन्य कार्यो को करती हैं। कोरोना काल की इस विपदा में वे कोविड टीकाकरण, आइसोलेशन वार्ड समेत अन्य कार्यो को बड़ी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन कर रही है। कोरोना काल में सेवा देने के क्रम में वे कई बार बीमार हुई। कुछ दिन क्वारंटाइन में रहकर दुबारा मरीजों की सेवा में जुट जाती हैं। दूसरी लहर के दौरान भी दोनों बीमार हुई, लेकिन कुछ दिन क्वारंटाइन रहकर दुबारा सेवा दे रही हैं। इनके साहस व सेवा भावना से ही मरीज ठीक हो रहे हैं।