आदिवासी बहुल दुबेडीह गांव में कोरोना ने नहीं दी दस्तक

पीरटांड़ (गिरिडीह) कोरोना जैसी महामारी के समय में भी पीरटांड़ के आदिवासी परिवारों

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 01:00 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 01:00 AM (IST)
आदिवासी बहुल दुबेडीह गांव में कोरोना ने नहीं दी दस्तक
आदिवासी बहुल दुबेडीह गांव में कोरोना ने नहीं दी दस्तक

पीरटांड़ (गिरिडीह): कोरोना जैसी महामारी के समय में भी पीरटांड़ के आदिवासी परिवारों का जीवन यापन सामान्य रहा है। वैसे तो पूरे पीरटांड़ में आदिवासी बहुल गांवों की भरमार है। प्राय: उन गांवों में कोरोना ने दस्तक भी नहीं दी। वैसा ही एक गांव है दुबेडीह। कुम्हरलालो पंचायत मुख्यालय से लगभग पांच किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में लगभग 40 आदिवासी परिवार रहते हैं। इन परिवारों में न तो कोई कोरोना पाजिटिव हुआ और न ही कोरोना से किसी की मौत हुई है। इतना जरूर हुआ कि बेरोजगारी के कारण लोगों को परेशानी हुई। कोरोना के 14 माह के पूरे कार्यकाल में गांव की स्थिति पुराने तरह ही सामान्य रही। सामान्य जिदगी जीने वाले इस गांव के लोगों से जब जागरण टीम मिली तो गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमित क्यों नहीं हुए, इसकी कहानी सुनाई।

प्राकृति से जुड़ा रहना ही इस गांव के लोगों की ताकत है। यही तकत है जो कोरोना संक्रमण को इस गांव तक पहुंचने नहीं दिया। गांव के कोई भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में नहीं आया।

रमन मरांडी, सेवानिवृत शिक्षक गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमण के दौरान गांव के बाहर कहीं भोजन नहीं किया। अपने खेतों व बगान में पैदा हुए साग-सब्जी को ही अपना मुख्य आहार बनाया।

सोनाराम मरांडी, ग्रामीण खेती कार्य के साथ हमलोग शारीरिक श्रम भी करते हैं। इस कारण हमारी इम्युनिटी अधिक होती है। यहीं कारण है कि हमारे गांव को कोरोना छू भी नहीं सका।

साहेबराम मरांडी, ग्रामीण अनुशासित जीवन शैली से हमलोग कोरोना संक्रमण से दूर रहे। वैसे तो इस गांव के एक भी व्यक्ति को कोरोना नहीं हुआ है फिर भी गांव की सहिया व सेविका के प्रयास से कुछ वृद्ध लोगों ने कोविड की वैक्सीन ली है।

सुशील मरांडी, ग्रामीण

एक साल के दौरान इस गांव में न ही कोई जागरूक करनेवाला व्यक्ति आया है और न ही कोई जागरूकता वाहन। यहां इसकी जरूरत भी नहीं है। गांव में कोरोना से कोई भी संक्रमण नहीं हुआ। गांव वाले सतर्क भी हैं।

रवि मरांडी, ग्रामीण

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